दिल्ली विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी जीत चुकी है। मुद्दा यह नहीं कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने कैसा शासन चलाया, उनके शासन में भ्रष्टाचार हुआ या नहीं या यह कि कांग्रेस को दिल्ली से प्रतिस्थापित करने के बाद केजरीवाल दिल्ली के लिए क्या ‘अलग’ कर सके। मुद्दा सिर्फ़ यह है कि अब दिल्ली में बीजेपी का शासन होगा। बीजेपी के शासन का मतलब है कि ‘क़ानून के शासन’ को तिलांजलि दे दी जाएगी। क़ानून की बात तो होगी लेकिन क़ानून का शासन नहीं होगा। संविधान की शपथ तो ली जाएगी लेकिन संविधान को उस ‘स्पिरिट’ के साथ नहीं माना जाएगा जैसा संविधान निर्माताओं ने सोचा था। मेरा स्पष्ट मानना है कि बीजेपी का शासन भारत के भविष्य के लिए, भारत के सुकून के लिए और भारत में आम लोगों के विकास के लिहाज़ से पूरी तरह प्रतिगामी शासन है।
एमपी कोर्ट परिसर में पिटाई: बीजेपी का ये कैसा क़ानून का शासन?
- विमर्श
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- वंदिता मिश्रा
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- 9 Feb, 2025

वंदिता मिश्रा
मध्य प्रदेश के एक कोर्ट परिसर में शादी करने पहुँचे अंतर-धार्मिक जोड़े की पिटाई क्यों की गई? क्या यही है बीजेपी का कानून का शासन?
जहाँ-जहाँ बीजेपी शासन में होती है वहाँ-वहाँ क़ानून का भय और शासन, धर्म, धन और दल के सापेक्ष होता है। कहने का मतलब यह है कि क़ानून को तोड़े जाने के बाद तोड़ने वाले का धर्म, उसकी आर्थिक हैसियत और उसका राजनैतिक झुकाव सबसे महत्वपूर्ण होता है। जरा सोचिए तो सही, जिस अदालत परिसर में जज को देखकर आम से लेकर खास आदमी की बोलती बंद हो जाती है, जहाँ हर इंसान, सिर झुकाकर क़ानून की बात सुनता है, उसी परिसर में किसी संगठन के गुंडे घुसकर किसी व्यक्ति को मार-मारकर अधमरा कर दें तो इसका क्या अर्थ निकाला जाना चाहिए? यह घटना मध्य प्रदेश की है। यहाँ की राजधानी भोपाल की एक व्यस्त अदालत में दक्षिण पंथी अराजक तत्वों ने एक मुस्लिम युवक को सिर्फ़ इसलिए मार-मारकर अधमरा कर दिया क्योंकि वह एक हिंदू लड़की के साथ, स्पेशल मैरिज एक्ट, के तहत अपने विवाह को पंजीकृत करवाना चाहता था।