महात्मा गांधी को 5 फरवरी, 1924 को अपेंडिसाइटिस की वजह से जेल से रिहा कर दिया गया। जब गांधी जेल से बाहर आए तब ख़िलाफ़त और असहयोग वाली हिंदू-मुस्लिम एकता अपने अवसान की ओर थी।
बेलगावी अधिवेशन का नाम ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ क्यों?
- विमर्श
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- 29 Dec, 2024

महात्मा गांधी ने 39वें राष्ट्रीय अधिवेशन की अध्यक्षता की थी। 26 दिसंबर 2024 को गांधी के अध्यक्ष बनने की घटना के 100 साल पूरे हो गए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली कांग्रेस ने बेलगावी में इस शताब्दी को मनाने का निर्णय लिया। जानिए, इसकी ज़रूरत क्यों महसूस हुई।
तुर्की में ख़लीफ़ा को ही मानने से इनकार कर दिया गया था इसलिए भारत पर इसका असर पड़ा। भारत में ख़िलाफ़त आंदोलन के रूप में ख़लीफ़ा को मानने का आधार समाप्त हो गया। गांधी के जेल जाने की वजह से धार्मिक एकता महत्वपूर्ण पहलू नहीं रह गया। हिंदू महासभा के नेतृत्व में सांप्रदायिकता को खूब खाद पानी दिया गया और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के बनने का आधार तय हो चुका था। अगले ही साल 1925 में आरएसएस का गठन भी हो गया।
गांधी की अनुपस्थिति में कांग्रेस भी ख़ुद को एकता में नहीं बाँध सकी। सी.आर. दास और मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस के अंदर ही ‘कॉंग्रेस ख़िलाफ़त स्वराज पार्टी’ का गठन हो गया और यही आगे चलकर स्वराज पार्टी के नाम से जानी जाने लगी। यह पार्टी और इसके सदस्य विधायिका के अंदर से आंदोलन चलाने के समर्थक थे (परिवर्तनशीलता) जबकि गांधी, पटेल, राजाजी समेत तमाम अन्य नेता इसके ख़िलाफ़ (अपरिवर्तनवादी) थे। इंग्लिश्तानी इस परिस्थिति से बेहद खुश थे और इसका फ़ायदा उठाकर दमन पर उतारू थे।