किसी लोकतंत्र की स्थापना, संचालन और गुणवत्ता उसमें किसी समय विशेष पर उपस्थित/जीवित जागरूक नागरिकों की संख्या पर निर्भर करती है, वोट देने वाले नागरिकों की संख्या पर नहीं। अपनी बौद्धिकता की वजह से हर रोज मरने वाला जागरूक नागरिक उस प्लेटफॉर्म की नींव में लगातार कॉन्क्रीट डालता रहता है जिसके लिए आम नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग करता है। जागरूक नागरिकों की संख्या जिस अनुपात में बढ़ती है उसी अनुपात में राजनैतिक नेतृत्व की जवाबदेही भी बढ़ती है।
क्या अडानी पर सरकार की चुप्पी उसकी पॉलिसी का अंग है
- विमर्श
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- 29 Mar, 2025

अडानी मुद्दे पर सरकार की चुप्पी क्या किसी नीति का हिस्सा है। वरिष्ठ पत्रकार वंदिता मिश्रा ने आज अपने इस स्तंभ में सवालों के जरिए पूछा है कि आखिर इस सारे मामले की जांच क्यों नहीं होना चाहिए। उनके सवालों को समझिए और बतौर जागरूक नागरिक खुद से भी सवाल करिए।