भारत के संविधान ने देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं के गठन और संचालन के स्पष्ट निर्देश दिए हैं जिसकी वजह से चुनी हुई सरकारें संविधान सम्मत और कानून सम्मत कार्य करने के लिए बाध्य रहती हैं। ऐसा ही एक स्पष्ट निर्देश संविधान के भाग-5, अध्याय-2 के अनुच्छेद-93 में दिया गया है। यह निर्देश देश और सरकारों को यह बताने के लिए है कि लोकसभा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनो ही पदों को भरना संवैधानिक बाध्यता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, “लोकसभा, यथाशीघ्र, अपने दो सदस्यों को अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुनेगी और जब-जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद रिक्त होता है तब-तब लोकसभा किसी अन्य सदस्य को, यथास्थिति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष चुनेगी।”
लोकसभा उपाध्यक्ष का पद रिक्त क्यों, संविधान का उल्लंघन कब तक?
- विमर्श
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- 29 Mar, 2025
