क्या आप जानते हैं कि केंद्र सरकार को पत्रकारों का समर्थन क्यों नहीं चाहिए? या ये कहें कि पत्रकारों को अपनी निष्पक्षता की दुंदुभि बजाते हुए सरकार के साथ क्यों नहीं खड़ा होना चाहिए? जरा गौर कीजिए।
क्या कांग्रेस पर प्रहार राष्ट्रहित में है?
- विमर्श
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- 29 May, 2022
जहाँ आठ साल से सत्ता में बीजेपी है वहाँ क्या विपक्षी दल की आलोचना की जानी चाहिए? राष्ट्रहित में सवाल सत्ता से किया जाना चाहिए या फिर विपक्ष से? लोकतंत्र का तकाजा क्या कहता है?

ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स (2020), के अनुसार भारत दुनिया की चौथी सबसे ताक़तवर मिलिटरी है। संख्या बल के मामले में भारत विश्व में दूसरी सबसे बड़ी मिलिटरी है। कुल रक्षा कर्मियों की संख्या 14 लाख से भी अधिक है और इसके साथ ही भारत का रक्षा बजट अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा बजट है। भारत के पास अनगिनत मिसाइलें, हथियार, फाइटर जेट्स, सबमरीन और युद्धक पोत हैं। इसके अलावा रॉ और आईबी जैसी संस्थाएं दिन रात देश की आँखें और कान बने हुए हैं। सीबीआई, ईडी, नारकोटिक्स और ऐन्टी करप्शन ब्यूरो, लगातार सरकार के हथियार के रूप में काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार 58 मंत्रालय और 93 विभागों के माध्यम से लगभग हर छोटे-बड़े मुद्दे को लेकर बजट और योजना का निर्माण करती है। और इसके लिए हज़ारों की संख्या में आईएएस (6,715) और आईपीएस (4,982) अधिकारी सरकार के दिशानिर्देशों पर काम करने को तत्पर रहते हैं। सरकार जब चाहे किसी भी अख़बार में लेख लिख सकती है, अपना प्रचार कर सकती है। जब चाहे देश के किसी भी या सभी चैनलों में एक साथ लाइव आ सकती है। देश के हर प्रदेश में केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाले राज्यपाल विभिन्न चुनी हुई सरकारों को कभी संवैधानिक तो कभी बनावटी तरीके से विनियमित करते रहते हैं। इसके अतिरिक्त सरकार का अपना खुद का सरकारी प्रसारण तंत्र भी है जो, रेडियो, टीवी, प्रिन्ट और डिजिटल मीडिया में लगातार सरकार का पक्ष रखता रहता है। लगभग हर मंत्रालय का अपना सरकारी प्रवक्ता है जो सरकार का पक्ष रखने में सक्षम है।