एक लोकसभा सांसद जो लगभग 17 लाख मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करती है, जिसके संसदीय क्षेत्र में लगभग 23% मतदाता अनुसूचित जाति से संबंधित हैं, जहां लगभग 36% मतदाता अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जहां की लगभग 88% मतदाता आबादी ग्रामीण है वहाँ की जनप्रतिनिधि और तृणमूल काँग्रेस से लोकसभा सदस्य, महुआ मोइत्रा की सदस्यता मात्र ‘ध्वनि-मत’ का इस्तेमाल करते हुए खत्म कर दी गई।
क्या उग्र पितृसत्ता और संसदीय दमन का शिकार हुई हैं महुआ?
- विमर्श
- |
- |
- 29 Mar, 2025

महुआ मोइत्रा का संसद से निष्कासन सिर्फ महिला विरोध के रूप में नहीं जाना जाएगा। यह जाना जाएगा कि जब कोई महिला बहती हवा के खिलाफ खड़ी होती है, जब वो सत्य को संसद में उजागर करती है, जब उसे कदम-कदम पर जुझारू बनना पड़ता है तो महुआ की पहचान अब इस रूप में भी होगी। किसी के पास महुआ के खिलाफ हजारों तर्क हो सकते हैं, लेकिन इस तर्क का क्या जवाब है कि संसद में इस महिला को अपना पक्ष नहीं रखने दिया गया और देश के माननीय प्रतिनिधियों ने एक घंटे में एक विवादित रिपोर्ट पर अपनी बहस पूरी कर ली। वंदिता मिश्रा को इसलिए पढें कि सत्य का जिन्दा रहना कितना जरूरी हैः