यह बात लगभग तय हो चुकी है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 नवंबर से शुरू होने वाले ‘जलवायु परिवर्तन के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेन्शन’(UNFCCC) की COP-28 कॉन्फरेंस में हिस्सा लेने के लिए दुबई जाएंगे। जब भारत के प्रधानमंत्री दुबई में भारत की जलवायु कार्यवाही व राष्ट्रीय रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे तब दुनिया भर की नजरें उन पर जरूर टिकेंगी। वर्ष 2015 में हुए COP-21 के दौरान पेरिस समझौता हुआ था। यह जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय समझौता था। इस समझौते का केन्द्रीय बिन्दु पृथ्वी के तापमान अर्थात ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने से संबंधित था।
COP-28: क्या प्रधानमंत्री तैयार हैं...आसान नहीं है जलवायु परिवर्तन की चिन्ता
- विमर्श
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- 26 Nov, 2023

जलवायु परिवर्तन पर लंबी चौड़ी बातें करने के लिए पीएम मोदी 30 नवंबर को दुबई में होगे। लेकिन प्रधानमंत्री वहां क्या बोलेंगे। जिस प्रधानमंत्री के देश में लोग पटाखे छोड़कर खुद वायु प्रदूषण को दावत देते हों और उस पर उन्हीं की पार्टी राजनीति करती हो। वायु प्रदूषण ने भारत में लोगों के जीवन को औसतन चार वर्ष कम कर दिया है। दरअसल लफ्फाजी करने और उसी में जीने वालों के लिए जलवायु परिवर्तन का कुछ भी महत्व नहीं है। जलवायु परिवर्तन से अगर वोट मिलते होते तो अलग बात थी। पढ़िए, सत्य हिन्दी की स्तंभकार वंदिता मिश्रा का अत्यंत गंभीर लेखः