वैसे तो सआदत हसन मंटो एक ही शख्सियत का नाम है जो उर्दू के एक बड़े कहानीकार थे और जिनकी कहानियां मानव जीवन के उस लोक में प्रवेश करती हैं जो समाज और साहित्य में हाल तक एक वर्जित प्रदेश रहा है। उनकी कहानियों को पढ़े बिना भारत विभाजन की  त्रासदी को समझना कठिन है। ठीक आजादी के वक्त भारत का जो विभाजन हुआ वो सिर्फ एक राजनैतिक मसला नहीं था। वो एक इंसानी मसला भी बन गया। विभाजन के वक्त जो दंगे हुए, हिंसा हुई, हिंदू -मुसलमान के बीच नफरत का जो ज्वार आया, औरतों के साथ जितने बड़े पैमाने पर बलात्कार हुए-  उसका पूरा जायजा तो नहीं लिया जा सका है। लेकिन इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि मंटो की कहानियां उसका एक मुकम्मल साक्ष्य पेश करती हैं।