वैसे तो सआदत हसन मंटो एक ही शख्सियत का नाम है जो उर्दू के एक बड़े कहानीकार थे और जिनकी कहानियां मानव जीवन के उस लोक में प्रवेश करती हैं जो समाज और साहित्य में हाल तक एक वर्जित प्रदेश रहा है। उनकी कहानियों को पढ़े बिना भारत विभाजन की त्रासदी को समझना कठिन है। ठीक आजादी के वक्त भारत का जो विभाजन हुआ वो सिर्फ एक राजनैतिक मसला नहीं था। वो एक इंसानी मसला भी बन गया। विभाजन के वक्त जो दंगे हुए, हिंसा हुई, हिंदू -मुसलमान के बीच नफरत का जो ज्वार आया, औरतों के साथ जितने बड़े पैमाने पर बलात्कार हुए- उसका पूरा जायजा तो नहीं लिया जा सका है। लेकिन इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि मंटो की कहानियां उसका एक मुकम्मल साक्ष्य पेश करती हैं।
एक सआदत हसन और एक मंटो
- विविध
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- 29 Mar, 2025

अमृतसर के रंगकर्मी राजिंदर सिंह के निर्देशन में पिछले हफ्ते दिल्ली के लिटल थिएटर ग्रूप सभागार में `पाताल लोक का देव’ नाटक खेला गया जो मंटो के समानांतर संसार को दिखाता है।
मगर भारत- विभाजन के साथ साथ मंटो के रचना लोक में एक और समानांतर संसार है। वो है औरतों की दुनिया। मंटो ने उन औरतों के दर्द और पीड़ा को भी सामने लाया जिनको आज की भाषा में `सेक्स वर्कर’ कहते हैं। मंटो के जीवन काल में उनको वेश्या कहा जाता था, कुछ हल्को में आज भी कहा जाता है। वो औरतें जिनको कोठे पर बिठा दिया जाता था, जिनकी दुनिया सीमित कर दी जाती थी। इस दुनिया में पैसे वाले कुछ गाहक होते थे और कुछ दलाल भी। और पुलिसवाले भी जो कभी दलाल भी हो जाते तो कभी हफ़्ता वसूल करनेवाले। इस दुनिया में रहनेवाली औरतों के मन में क्या घटता था इसको मंटो ने जिस बारीकि से दिखाया उसे न उस समय तक का कोई कथाकार देखा पाया और न आज का।