पिछले दिनों इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अभय कुमार दुबे और युवा इतिहासकार डॉ रमाशंकर सिंह के संयोजन में महाभारत पर दो दिवसीय(18-19 सिंतंबर) समवाय यानी कार्यशाला में हिस्सा लेने का अवसर मिला। इस कार्यशाला का शीर्षक था—महाभारत और औपनिवेशिकता का प्रत्याख्यान। इसमें प्रोफेसर वागीश शुक्ल और प्रोफेसर राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल, डॉ सच्चिदानंद जोशी जैसे महाभारत के विद्वानों के अलावा प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र जैसे मनोविज्ञानी व कई गंभीर अध्येताओं ने हिस्सा लिया। उनके अतिरिक्त साहित्य, राजनीति शास्त्र, इतिहास, विधि, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, स्त्री अध्ययन और अन्य अनुशासनों के विद्वानों और अध्येताओं ने भाग लिया। इनमें प्रोफेसर लारेंस लियांग, भगत ओइनम, प्रोफेसर मणींद्र नाथ ठाकुर, प्रोफेसर राजकुमार, रुक्मिणी सेन, डॉ. तृप्ति श्रीवास्तव, पंकज कुमार सिंह के नाम प्रमुख हैं।
रामायण, महाभारत और गांधी-आंबेडकर...जरूर पढ़िये
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- 29 Mar, 2025

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अभय कुमार दुबे और युवा इतिहासकार डॉ रमाशंकर सिंह ने महाभारत पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला का लक्ष्य यह सिद्ध करने पर था कि उपनिवेशकों के दावे के विपरीत भारतीय समाज में नैतिकता, ईमानदारी और वीरता के उच्चतर मानवीय मूल्य उपस्थित रहे हैं। रामायण और महाभारत इसके प्रमाण हैं। लेकिन राजनीति ने इनका इस्तेमाल अपने मकसद के लिए किया। पढ़िये एक बहुत जरूरी लेख सिर्फ सत्य हिन्दी परः
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।