विनायक नरहरि भावे यानी विनोबा भावे(11सितंबर 1895-15 नवंबर 1982) की आज जयंती है। सत्ता और संघर्ष दोनों की राजनीति में विनोबा को हाशिए पर फेंक दिए जाने के लिए विनोबा एक हद तक ही जिम्मेदार हैं। बाकी जिम्मेदारी सत्ता और संघर्ष करने वाले राजनेताओं की भी है। लेकिन उससे भी कम जिम्मेदारी देश के उन संत-महात्माओं की भी नहीं है जो अपने अपने स्वार्थ के लिए न तो इस राजनीतिक संत के मार्ग पर चलने के लिए तैयार होते हैं और न ही उसके विचारों का अवगाहन करते हैं। लेकिन आज जब इस देश के गली मोहल्ले से लेकर संसद तक सांप्रदायिकता निर्लज्ज होकर घूम रही है तब वर्धा की धाम नदी के तट पर खड़े पवनार आश्रम में अपना मौन तोड़कर विनोबा जय जगत के नारे के साथ इस देश को शांति और सौहार्द के लिए पुकार रहा है।
पवनार आश्रम से `जय जगत’ पुकार रहा है विनोबा
- विचार
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- 29 Mar, 2025

विनायक नरहरि भावे यानी विनोबा भावे की बुधवार 11 सितंबर को जयंती है। वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी ने भूदान आंदोलन के अगुआ विनोबा भावे को समर्पित यह लेख लिखा है। मौजूदा पीढ़ी के जो लोग विनोबा भावे को नहीं जानते, उनके लिए यह लेख एक जरूरी खुराक की तरह है।
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।