प्रधानमंत्री और विपक्षी नेताओं को नौटंकी से नहीं जोड़ना चाहिए। लेकिन मैं उन्हें नौटंकी शैली में पेश एक नाटक देखने का सुझाव दे रहा हूँ। इसे देख कर शायद उन्हें यह समझने का मौक़ा मिले कि राजनीति की नौटंकी किस तरह से भारत के सामाजिक और नैतिक मूल्यों को तोड़ रही है। नाटक ‘हरिश्चन्नर की लड़ाई’ एक पौराणिक कहानी के इर्द-गिर्द घूमता है और आज के आदमी की त्रासदी को सामने लाता है। भारतीय मिथक कथाओं में सत्यवादी हरिश्चंद्र को सत्य का प्रतीक माना गया है। सच पर अडिग रहने के कारण उन्हें अपने राज्य को छोड़ना पड़ा। यहाँ तक कि पत्नी और पुत्र भी छूट गए।