विवाह से पहले का प्रेम आख़िर विवाह के बाद नफ़रत और तकरार में क्यों बदल जाता है? क्या विवाह के बाद पुरुष बदल जाता है? या फिर औरत बदल जाती है? या फिर युवा सपनों के बीच कोई "वो" आ जाती है? "वो" कौन है? कोई दूसरी स्त्री या पुरुष? लेकिन "वो" काम का बोझ या दफ़्तर का तनाव भी तो हो सकता है?

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एन एस डी) के रंग महोत्सव 24 में नाटक "जीने भी दो यारों" का मंचन किया गया। जानिए, क्या है इस नाटक का कथ्य।
टूटने के कगार तक पहुंचते प्रेम विवाह की इसी गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करता है नाटक "जीने भी दो यारों"। महानगरों में दफ़्तर का तनाव, पति पत्नी के बीच सौतन की तरह बैठता जा रहा है। काम के लंबे घंटों और बेहतर रिज़ल्ट के दबाव में पत्नी कहीं पीछे छूट जाती है, अकेलापन किसी प्रेत की तरह उसका पीछा करने लगता है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक