सुना था कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। लेकिन अब देख रहे हैं कि आवश्यकता हो या न हो किन्तु आविष्कार किया जा रहा है । हमारे भाग्यविधाता अब देश के भाग्यविधाता बन रहे है। वे देश का आंग्ल नाम बदलकर दोबारा हिंदी वाला नाम भारत [ जो पहले से है ] को दोबारा स्थापित करना चाहते हैं। इसका श्रीगणेश जी-20 के देशों के सम्मेलन में आने वाले राष्ट्राध्यक्षों के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले भोज के निमंत्रणपत्र से कर भी दिया गया है।
भारत का भरता बनाने की सनक
- विविध
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- 6 Sep, 2023
देश में बदलाव की सनक सवार हो गई है। मुहल्लों, रेलवे स्टेशनों, शहरों के नाम बदलने की जो सनक सवार थी, उसका दायरा बड़ा हो गया है। इंडिया जो भारत ही है लेकिन वो उस भारत को थोपना चाहते हैं जिसमें इंडिया के लिए कोई जगह नहीं है। इस सनक में बाबा साहब आंबेडकर की उस इबारत (इंडिया दैट इज भारत) को मिटाने की साजिश साफ नजर आ रही है। सनक का इलाज सिर्फ जनता के पास है।
