सुना था कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। लेकिन अब देख रहे हैं कि आवश्यकता हो या न हो किन्तु आविष्कार किया जा रहा है । हमारे भाग्यविधाता अब देश के भाग्यविधाता बन रहे है। वे देश का आंग्ल नाम बदलकर दोबारा हिंदी वाला नाम भारत [ जो पहले से है ] को दोबारा स्थापित करना चाहते हैं। इसका श्रीगणेश जी-20 के देशों के सम्मेलन में आने वाले राष्ट्राध्यक्षों के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले भोज के निमंत्रणपत्र से कर भी दिया गया है।