निर्धन जनता का शोषण है, कहकर आप हंसे।
लोकतंत्र का भविष्यः फांस ऐसी, न हंसते बनता है, न रोते
- विविध
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- 30 Aug, 2023

भारत में लोकतंत्र का भविष्य खतरे में है। समीक्षक कृष्ण प्रताप सिंह ने संपादक अरुण कुमार त्रिपाठी की किताब के जरिए भारतीय लोकतंत्र की अंदरुनी बीमारियों की तरफ इशारा किया है।