‘आज की तारीख़ में यह देखकर बहुत अफसोस होता है कि पत्रकारिता की मार्फत जितनी जन-जागरूकता हम लाना चाहते थे, नहीं ला पाये। लेकिन फिर सोचता हूँ कि यह असफलता मेरी अकेले की नहीं, सामूहिक है। इस क्षेत्र में व्यावसायिकता और लाभ का सारी नैतिकताओं से ऊपर होते जाना देखकर भी अफसोस होता है। मेरे देखते ही देखते मूल्य आधारित (वैल्यूवेस्ड) और जनपक्षधर पत्रकारिता की अलख जगाने वाले सम्पादकों की पीढ़ी समाप्ति के कगार पर पहुंच गयी और अपनी निजी उपलब्धियों के लिए चिन्तित रहने वाले लोग चारों ओर छा गये। वे निजी लाभों के लिए किसी भी हद तक गिरने को तैयार रहते हैं और सबसे अफसोसजनक यह है कि अब सम्पादक नाम की संस्था ही लुप्त होने के कगार पर है।’
शीतला सिंह: 'पत्रकारिता उद्यम या व्यवसाय है तो मुझे याद न किया जाये'
- श्रद्धांजलि
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- 29 Mar, 2025

जनमोर्चा अख़बार के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह का निधन हो गया। जानिए, पत्रकारिता को लेकर उनकी क्या राय थी और उनकी पत्रकारिता को आने वाले समय में कैसे याद किया जाएगा।
देश में भारतीय भाषाओं के नामचीन सम्पादकों व पत्रकारों में शुमार शीतला सिंह के गत मंगलवार को अयोध्या के एक अस्पताल में अंतिम सांस लेने के साथ हिन्दी की पत्रकारिता ने क्या-क्या खोया है और वह कितनी निर्धन होकर रह गई है, इसे अपनी सक्रियता के दिनों में उनके द्वारा एक अनौपचारिक बातचीत में इन पंक्तियों के लेखक से कही गई इन बातों से समझा जा सकता है।