कर्नाटक की हार बीजेपी के गले में कुछ इस तरह फंस गई है कि चुनाव नतीजों के हफ्ते भर बाद भी निकलने का नाम नहीं ले रही। तब भी नहीं निकली, जब उसके निवर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने नये मुख्यमंत्री के चयन में कांग्रेस द्वारा की जा रही ‘देरी’ पर अनावश्यक टिप्पणी की और तब भी नहीं, जब पार्टी नेतृत्व ने राज्य के कार्यकर्ताओं को ढाढ़स बंधाते हुए कहा कि वे निराश न हों। इन दोनों ही मौक़ों पर बीजेपी नेता पार्टी की ‘प्रचंड’ हार के कारणों की ईमानदार स्वीकारोक्ति में हकलात नजर आये।
वे चाहते हैं कि कांग्रेस फिर ‘मुसलमानों की पार्टी’ बन जाये!
- विचार
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- 19 May, 2023

कर्नाटक में कांग्रेस की जीत की वास्तविक वजह क्या है? और आख़िर क्यों बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं के एकतरफा तौर पर कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकृत हो जाने की एकमात्र वजह से हुआ है?
विडम्बना देखिये: एक ओर भाजपा की हालत ऐसी खस्ता है और दूसरी ओर उसके समर्थक मीडिया की कतारों में कई महानुभाव अवध की ‘मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त’ वाली कहावत चरितार्थ करने पर उतर आये हैं। वे प्राण-प्रण से यह ‘सिद्ध’ करने में लग गये हैं कि कोई कुछ भी कहे, कर्नाटक में यह ‘अनर्थ’ वहां के मुस्लिम मतदाताओं के एकतरफा तौर पर कांग्रेस के पक्ष में ध्रुवीकृत हो जाने की एकमात्र वजह से हुआ है और कुशासन व भ्रष्टाचार आदि के कारण उसके हारने की जो चर्चाएँ चल रही हैं, वे ‘महज कांग्रेस का दुष्प्रचार’ हैं।