बिना रंग-गुलाल की होली कैसी होगी? इसी तरह क्या बिना पटाखे-दीये के दीवाली का उत्सव मनाया जा सकता है? इन सवालों पर बहस हो रही है। यह इसलिए कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली एनसीआर में दीवाली पर पटाखे पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और इसके साथ ही कई राज्यों में भी ऐसे ही प्रतिबंध लगाए गए हैं। कहा जा रहा है कि कई शहरों में प्रदूषण इतना ज़्यादा हो गया है कि साँस लेना दूभर है और प्रदूषण के कारण कोरोना संक्रमण के भी तेज़ी से फैलने के आसार हैं। अब ज़ाहिर है पटाखे जलेंगे तो प्रदूषण तो बढ़ेगा। ऐसे में सवाल यह है कि प्रदूषण और कोरोना बढ़ने का ख़तरा उठाया जाए या साल में एक बार आने वाले इस त्योहार को भूल जाएँ? या फिर कोई बीच का रास्ता भी निकल सकता है?