अर्णब गोस्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के लिए अवमानना केस का सामना कर रहे कॉमेडियन कुनाल कामरा ने कहा है कि वह न तो वकील करेंगे और न ही माफ़ी माँगेंगे, जुर्माना भरेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कहा है उससे पीछे नहीं हटेंगे। कुनाल कामरा का यह बयान तब आया है जब एक दिन पहले ही एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उन पर अवमानना का केस चलाने की अनुमति दी है। क़ानून के एक छात्र और दो वकीलों ने इस मामले में अवमानना का केस चलाने के लिए मंजूरी माँगी थी। अब तक ऐसे आठ लोगों को मंजूरी दे दी गई है। कामरा ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जेल में बंद अर्णब गोस्वामी पर फ़ैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी। उन्होंने इस मामले में एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे।
एटॉर्नी जनरल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद कुनाल कामरा ने इस मामले में अपनी सफ़ाई दी है। उन्होंने जजों और केके वेणुगोपाल को संबोधित एक ख़त लिखा है और उसे ट्वीट किया है।
No lawyers, No apology, No fine, No waste of space 🙏🙏🙏 pic.twitter.com/B1U7dkVB1W
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) November 13, 2020
उन्होंने ट्वीट में लिखा है, 'मेरा इरादा अपने ट्वीट को वापस लेने या उनसे माफ़ी माँगने का नहीं है। मेरा मानना है कि वे ख़ुद इसका अर्थ समेटे हुए हैं।' उन्होंने उसमें लिखा है कि हाल में जो ट्वीट मैंने किए हैं उन्हें अदालत की अवमानना माना गया है। उन्होंने लिखा है कि मेरे नज़रिए से 'प्राइम टाइम स्पीकर' के पक्ष में पक्षपाती फ़ैसला के लिए ये ट्वीट थे।
कुनाल कामरा का जो ताज़ा ट्वीट है उसे एटॉर्नी जनरल के उस बयान के संदर्भ में भी देखा जा सकता है जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वालों को चेताया है।
एटॉर्नी जनरल ने एक दिन पहले अवमानना केस के लिए जो अनुमति दी है उसमें उन्होंने कहा है, 'यही वह समय है जब लोगों को समझ आना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय पर बिना किसी तर्क के और खुलेआम हमला करने के लिए सज़ा मिलेगी।'
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कॉमेडियन के ट्वीट न केवल ग़लत संदर्भ में थे बल्कि स्पष्ट रूप से हास्य और अवमानना के बीच की रेखा को पार कर गए। वेणुगोपाल ने कहा, 'ट्वीट भारत के सर्वोच्च न्यायालय और उसके न्यायाधीशों की संपूर्ण निष्ठा के ख़िलाफ़ एक घोर अपमान है।'
उन्होंने यह भी कहा कि आज लोग दुस्साहसपूर्वक और खुलेआम सर्वोच्च न्यायालय और उसके न्यायाधीशों की निंदा करते हैं जिसे वे मानते हैं कि अभिव्यक्ति की आज़ादी है।
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