बंजारों की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की तलाश करता नाटक ‘छोड़ चला बंजारा’ को मनोरंजक प्रस्तुति के लिहाज़ से शानदार कहा जा सकता है। लेखक और निर्देशक कन्हैया लाल कैथवास ने बंजारों के संगीत और नृत्य की बारीकियों को मूल स्वरूप में रखने की सफल कोशिश की।