दक्षिण भारत के पाँच राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा की 130 सीटें हैं। बीजेपी "चार सौ पार" जाने के लक्ष्य के सामने यहीं सबसे बड़ी चुनौती है। 2019 में बीजेपी को दक्षिण से सिर्फ़ 29 सीटें मिली थीं। इनमें से भी 25 सीटें कर्नाटक से थीं। 2019 के चुनावों के समय कर्नाटक में बीजेपी की सरकार थी और अब कांग्रेस सत्ता में है। बीजेपी को चार सीटें तेलंगाना में मिली थी, यहां भी अब कांग्रेस की सरकार है। दोनों राज्यों में कांग्रेस ने बीजेपी की ज़बरदस्त घेराबंदी कर रखी है। केरल, तमिलनाडु और आंध्रा में बीजेपी को अभी खाता खोलना बाक़ी है। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कर्नाटक और तेलंगाना में अपने 2019 के नतीजों को बरक़रार रखना है। दक्षिणी राज्यों में अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए बीजेपी ने कांग्रेस और दूसरी पार्टियों से कई नेताओं को तोड़ कर अपने साथ ले आयी है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा जैसे नाराज़ नेताओं को मना लिया है। फिर भी चुनौतियां कम नहीं लग रही हैं।

बीजेपी ने '400 पार' का जो लक्ष्य रखा है, क्या उसे दक्षिण के राज्यों में सीटें जीते बिना पा सकती है? दक्षिण के राज्यों में बीजेपी की स्थिति क्या है और क्या वह इसमें कामयाब हो पाएगी?
कर्नाटक का युद्ध
दक्षिण में बीजेपी के सबसे बड़े गढ़ कर्नाटक में कांग्रेस ने ख़ुद को पिछले चुनावों के मुक़ाबले ज़्यादा मज़बूत कर लिया है। यहाँ कांग्रेस की सबसे बड़ी उपलब्धि दो बड़े नेताओं, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के बीच के मतभेदों पर लगाम लगाना है। दूसरी तरफ़ बीजेपी स्थानीय नेतृत्व के संकट से बाहर नहीं आ पा रही है। कर्नाटक में बीजेपी को मज़बूत बनाने में सबसे बड़ी भूमिका पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की रही है। बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व उनकी कार्यशैली से लंबे समय से नाराज़ है, लेकिन जब जब येदियुरप्पा को किनारे करने की कोशिश की गयी तब तब बीजेपी को नुक़सान हुआ। विधानसभा चुनावों से पहले, येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटा कर बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया। बोम्मई को येदियुरप्पा की पसंद बताया जाता है। बसवराज के पिता एस आर बोम्मई भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों में बोम्मई पार्टी को हार से नहीं बचा सके। राज्य में तीसरे बड़े खिलाड़ी पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी हैं जो कांग्रेस की सहायता से मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कुमारस्वामी का राजनीतिक ग्राफ़ नीचे आ गया। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राज्य की 28 में से 25 और एक-एक सीट कांग्रेस, जेडीएस और निर्दलीय ने जीती थी। इस बार परिस्थितियाँ बदली हुई हैं। सिद्धारमैया और शिव कुमार की जोड़ी ने कांग्रेस में नयी जान फ़ूंक दी है। शिव कुमार को कांग्रेस का संकट मोचक भी कहा जाता है। कांग्रेस इस बार 10 से 15 सीटें जीतने का दावा कर रही है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक