‘बिदेसिया’ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवा स्त्रियों की एक ऐसी त्रासदी है जो सैकड़ों साल पहले शुरू हुई और आज भी बदस्तूर जारी है। इस इलाक़े के बेरोज़गार युवक शादी के तुरंत बाद कमाने के लिए बड़े शहरों की तरफ़ निकल जाते हैं। उनमें से कुछ कभी वापस नहीं लौटते। गांव में बैठी उनकी पत्नी जीवन भर इंतज़ार करती रहती हैं। उनकी उपेक्षित ज़िंदगी, घोर ग़रीबी और विरह में बीतती है।

नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा यानी एनएसडी के भारतीय रंग महोत्सव (भारंगम) में बिदेसिया का प्रदर्शन हुआ। जानिए, बिदेसिया के बारे में।
1950/60 के दशक में औरत के इसी दर्द को समेट कर भोजपुरी के मशहूर लेखक और अभिनेता भिखारी ठाकुर ने ‘बिदेसिया’ (विदेशिया) नाटक की रचना की। इसे बिहार के लोक नृत्य नाटक ‘नाच’ शैली में लिखा गया है। भिखारी ठाकुर का अपना नाच ग्रुप भी था। शादियों, और अन्य उत्सवों के साथ-साथ मेलों-ठेलों में भिखारी का ये नाटक बहुत चाव से देखा जाता था।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक