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उत्तर प्रदेश के निर्दलीय विधायक अमन मणि त्रिपाठी लॉकडाउन के बीच उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा पर निकल पड़े। विधायक के साथ 10 और लोग थे। अमनमणि त्रिपाठी को इसके लिए उत्तराखंड सरकार के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने विशेष अनुमति दी थी।
ख़बरों के मुताबिक़, उत्तराखंड सरकार की ओर से देहरादून के डीएम को लिखे अनुमति पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनके 10 अन्य साथियों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्य हेतु बद्रीनाथ धाम जाना है और केदारनाथ धाम भी जाना है।
इस पत्र में विधायक सहित 10 लोगों के नाम लिखे हैं। साथ ही वाहन संख्या भी लिखी हुई है। मुख्यमंत्री के पिता का बीते महीने निधन हो गया था। अमनमणि त्रिपाठी महाराजगंज जिले की नौतनवां सीट से विधायक हैं।
विधायक और उनके साथी तीन लग्जरी गाड़ियों में सवार थे। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, उत्तराखंड के कर्णप्रयाग जिले के डीएम वैभव गुप्ता ने कहा, ‘अमनमणि त्रिपाठी कुछ अन्य लोगों के साथ तीन गाड़ियों में उत्तर प्रदेश से आये थे। उन्हें गोचर बैरियर के पास रोका गया। लेकिन रुकने के बजाय वह चलते गए और कर्णप्रयाग तक पहुंच गए। कर्णप्रयाग पहुंचने पर जब डॉक्टर्स और प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी स्क्रीनिंग की तो वह बहसबाज़ी पर उतर आये। इसके बाद बहुत मुश्किल से उन्हें वापस लौटाया गया।’
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) अशोक कुमार ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि विधायक और अन्य 10 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है। उन्होंने कहा कि गिरफ़्तार करने के बाद इन लोगों को नोटिस जारी किया गया और उत्तर प्रदेश वापस भेज दिया गया।
अमनमणि त्रिपाठी अपनी पत्नी सारा की हत्या के मामले में मुक़दमा झेल रहे हैं। त्रिपाठी के पिता अमरमणि त्रिपाठी, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं। अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में दोषी हैं और इन दिनों जेल में हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बारे में एक बयान जारी कर विधायक द्वारा मुख्यमंत्री के नाम का इस्तेमाल करने की भत्सर्ना की है। बयान में कहा गया है, ‘अमनमणि त्रिपाठी को योगी आदित्यनाथ या राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी द्वारा उत्तराखंड जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। वह अपने काम के लिए ख़ुद जिम्मेदार हैं।’
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