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सीएम योगी के साथ मोहित पांडेय का परिवार

यूपीः पुलिस हिरासत में मौत, मोहित पांडेय के बच्चों को चॉकलेट, योगी के साथ फोटो

पुलिस हिरासत में 32 वर्षीय मोहित पांडेय की मौत के एक दिन बाद, रविवार को सीसीटीवी फुटेज सामने आया, जिसमें चिनहट पुलिस स्टेशन लॉक-अप में उसकी तबीयत बिगड़ती दिख रही है। उसके बाद उसकी मौत हो गई। पुलिस हिरासत में मौत का मुद्दा जब गरमा उठा तो योगी सरकार ने इस मामले को निपटाने के लिए सोमवार को परिवार से मुलाकात की। योगी के दफ्तर ने कहा कि परिवार को दस लाख रुपये मदद के तौर पर दिये जाएंगे और सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। मीडिया के सामने जो फोटो आया, उसमें सीएम परिवार के साथ हैं और बच्चे कैडबरी की टॉकलेट पकड़े हुए खड़े हैं। यूपी में दिनों दिन खराब हो रही कानून व्यवस्था और बढ़ते अपराध पर योगी के दफ्तर ने कोई टिप्पणी नहीं की। समाजवादी पार्टी ने इस पर सोमवार को जबरदस्त हमला बोला। सपा ने कहा कि ब्राह्णणों की पिछली हत्याओं, एनकाउंटरों को कैसे भुलाया जा सकता है।

मोहित की मौत लखनऊ में एक दलित अमन गौतम की पुलिस हिरासत में मौत के 15 दिन बाद हुई है। यानी पुलिस हिरासत में मौतों का सिलसिला यूपी में बढ़ रहा है।


मोहित पांडेय का मामवा दो दिनों से यूपी में गरमाया हुआ है। सोशल मीडिया पर 1 मिनट 17 सेकंड के वीडियो में स्कूल ड्रेस व्यापारी मोहित पांडेय को सात अन्य कैदियों की मौजूदगी में लॉक-अप के फर्श पर लेटे हुए दिखाया गया है। वीडियो में उनके भाई शोभाराम पांडेय को भी दिखाया गया है। उन्हें भी हिरासत में लिया गया था और उसी लॉक-अप में रखा गया था, जो अपने भाई की मदद करने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर और मदद के लिए चिल्लाते हुए नजर आ रहे थे।

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मोहित के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि उसे हिरासत में प्रताड़ित किया गया। लेकिन पुलिस अधिकारियों ने इस आरोप का खंडन किया है। हालांकि घटना के कुछ घंटों बाद, शनिवार देर रात चिनहट पुलिस स्टेशन के एसएचओ अश्विनी कुमार चतुर्वेदी के खिलाफ केस दर्ज किया गया। मोहित का एक मजदूर आदेश के साथ झगड़ा हुआ था। पुलिस ने मोहित और उसके भाई को उठा लिया, उसके चाचा और अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। उसके बाद मोहित की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। मोहित की मां तपेश्वरी देवी की शिकायत के बाद हत्या के आरोप में एसएचओ और अन्य पर मामला दर्ज किया गया है। एफआईआर में आरोपों में भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) (हत्या) और 61/2 (आपराधिक साजिश) के आरोप शामिल हैं।

लखनऊ पुलिस इस पूरे मामलो को दबा रही है। वीडियो में कैदियों को पुलिस से मदद मांगते देखा जा सकता है। तब मोहित पांडेय के लिए पानी की बोतल दी जाती दिख रही है। फिर इसे शोभाराम ने उसे सौंप दिया। वीडियो पर पुलिस की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई।

इससे पहले, राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. विक्रम सिंह ने पुष्टि की कि मोहित पांडेय को शनिवार दोपहर करीब 2.30 बजे अस्पताल में मृत लाया गया था।

पुलिस हिरासत में हुई इस मौत पर सपा तीखे सवाल कर रही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बयान देखिए-
सपा मीडिया सेल ने एक्स पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। सपा मीडिया सेल ने योगी के फोटो वाली तस्वीर शेयर करते हुए लिखा-  यूपी की योगी सरकार की पुलिस ने इस तस्वीर में कैडबरी चॉकलेट का डिब्बा पकड़े बच्चों के पिता को यातना देकर थाने में मार डाला सीएम योगी ने बच्चों को कैडबरी का चॉकलेट पकड़ा कर फुसला लिया ? क्या इस विधवा का पति वापिस कर सकते हैं आप योगी जी ? क्या इस मां का बेटा आप वापिस कर सकते हैं योगी जी ? क्या इन तीन मासूम बच्चों का पिता वापिस कर सकते हैं योगी जी ? 
सपा मीडिया सेल ने बयान में कहा- आपने जो ठोक दो ,मार डालो ,जाति देखकर एनकाउंटर और कार्यवाही का सिलसिला डाला है इसका कोई अंत है क्या ? खुलकर जातिवाद आप करते हैं ,खुलकर ठाकुरवाद आप करते हैं और जब किसी दलित पिछड़ा ब्राह्मण मुसलमान का घर का चिराग मर जाता है उसके साथ ये कैडबरी चॉकलेट कार्यक्रम करके फोटो खिंचवाकर खानापूर्ति कर लेते हैं ?शर्म कीजिए शर्म आपने अपने दलाल विधायक के मार्फत इस परिवार के आंसुओं को चंद पैसों और कैडबरी चॉकलेट से खरीद लिया ? लेकिन न्याय का क्या ? न्याय कब होगा ? आप माफी कब मांगेंगे ? जो लोग पहले भी इस तरह से आपकी सरकार में मारे गए हैं उन्हें आज तक न्याय मिला क्या ? आपके द्वारा किए गए वायदे पूरे हुए क्या ? सवाल कभी खत्म नहीं होंगे क्योंकि आपके पास केवल ये कैडबरी चॉकलेट का डिब्बा है ,न्याय और जवाब नहीं है।

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अमन गौतम की मौत भी पुलिस की पिटाई से हुई

करीब 15 दिनों पहले लखनऊ के विकास नगर में जुए के अड्डे से पकड़े जाने के तुरंत बाद 28 वर्षीय दलित व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। अमन गौतम के परिवार ने आरोप लगाया कि हिरासत में पुलिस द्वारा गंभीर पिटाई के कारण अमन की मौत हुई। घटना से नाराज व्यक्ति के परिवार और अन्य लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होने तक अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था। विपक्षी दलों ने इस मामले को जब जोरशोर से उठाया तो पुलिस ने कार्रवाई की। इस मामले में हेड कांस्टेबल शैलेन्द्र सिंह और तीन अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) और अनुसूचित जाति के प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

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क़मर वहीद नक़वी
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