बिप्लब कुमार देब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं। इस तथ्य से अनजान व्यक्ति यदि उनके बयान सुने तो शायद विश्वास न कर पाए कि ऐसा बयान कोई मुख्यमंत्री भी दे सकता है! मुख्यमंत्री जैसे पद पर ज़िम्मेदार व्यक्ति भला ऐसे कैसे कह सकता है कि पंजाबी और जाट ताक़तवर होतें हैं लेकिन उनके पास कम दिमाग़ होता है! कौन ऐसा मुख्यमंत्री होगा जो यह कहेगा कि महाभारत काल में इंटरनेट और सैटेलाइट थे! क्या मुख्यमंत्री बेरोज़गारों को पान की दुकान खोलने और गाय पालने की नसीहत दे सकता है? ऐसा कौन कहेगा कि मिस यूनिवर्स डायना हेडन इंडियन ब्यूटी नहीं हैं।
त्रिपुरा सीएम बिप्लब देब ने पंजाबी, जाटों को कम बुद्धिमान बताया, फिर माफ़ी माँगी
- त्रिपुरा
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- 21 Jul, 2020
मुख्यमंत्री जैसे पद पर ज़िम्मेदार व्यक्ति भला ऐसे कैसे कह सकता है कि पंजाबी और जाट ताक़तवर होतें हैं लेकिन उनके पास कम दिमाग़ होता है!

यह किसी गली-मोहल्ले में मटरगश्ती कर रहे लोगों की भाषा नहीं है। ये सारे बयान बिप्लब देब के हैं। क्या मुख्यमंत्री जैसे ज़िम्मेदार पद पर व्यक्ति को भाषा की मर्यादा नहीं रखनी चाहिए? यह हो सकता है कि कभी किसी नेता की ज़ुबान फिसल जाए। लेकिन यदि बार-बार ऐसी ही भाषा बोली जाए तो क्या हर बार उसे ज़ुबान फिसलना कहा जाएगा?