पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए राजीब बनर्जी आख़िरकार तृणमूल में ही लौट आए। पिछले महीने ही बीजेपी से जुड़े रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो तृणमूल में शामिल हुए थे। बंगाल चुनाव के बाद कई विधायक भी बीजेपी से तृणमूल में वापसी कर चुके हैं। आज टीएमसी में शामिल होने वाले राजीब बनर्जी ने दावा किया कि बीजेपी का एजेंडा वोट हासिल करना और धार्मिक राजनीति करना है।
राजीब बनर्जी ने यह दावा करते हुए कि उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर गलती कर दी थी, कहा, 'मैं अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे फिर से टीएमसी में शामिल होने की अनुमति दी।'
राजीब ने बीजेपी पर निशाना भी साधा। उन्होंने आरोप लगाया, 'बीजेपी में शामिल होने से पहले रोज़गार और कृषि पर कई वादे किए गए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।'
उन्होंने कहा, 'मैं भी कृषि का विकास और युवाओं के लिए रोजगार चाहता हूँ। मैंने केंद्रीय नेतृत्व से कहा था, अगर वे उद्योग चाहते हैं, तो डनलप कारखाने को फिर से खोला जाए। लेकिन उनका एकमात्र एजेंडा वोट हासिल करना था। उनका मुख्य एजेंडा धार्मिक राजनीति था।' राजीब ने कहा, 'मेरा मानना है कि ममता सिर्फ बंगाल की ही नहीं, बल्कि देश के बाकी हिस्सों की भी नेता हैं।'
त्रिपुरा में पैर जमाने की कोशिश में लगी तृणमूल को राजीब बनर्जी की वापसी से ताक़त मिलने की उम्मीद है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि 'हम त्रिपुरा में लेफ़्ट और राइट (वामपंथ और दक्षिणपंथ) दोनों को ख़त्म कर देंगे। यह बंगाल का दोहराव होगा।'
बता दें कि अब तक बाबुल सुप्रियो, बिस्वजीत दास, तन्मय घोष, सौमेन रॉय जैसे नेता पहले ही टीएमसी में लौट चुके हैं। बीजेपी से तृणमूल में वापस लौटने का सिलसिला तब शुरू हुआ था जब जून में मुकल रॉय वापस टीएमसी में लौटे थे। पहले वह टीएमसी के ही नेता थे लेकिन वह 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस साल बंगाल चुनाव के नतीजों के बाद वह ममता बनर्जी की पार्टी में वापस आ गए।
बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी ने शानदार जीत दर्ज की थी और 200 का लक्ष्य तय करने वाली बीजेपी 77 सीटों पर ही सिमट गई थी। चुनाव नतीजों के बाद बीजेपी से तृणमूल में वापस नेताओं के जाने का सिलसिला शुरू हुआ।
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