कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
पीछे
कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
पीछे
हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
आगे
सुप्रीम कोर्ट की खिंचाई के एक दिन बाद तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने डीएमके विधायक के पोनमुडी को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर मुहर लगा दी। इसके साथ ही पोनमुडी को मंत्री पद पर शपथ भी दिला दी गई। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार गवर्नर ने पोनमुडी को शुक्रवार दोपहर साढ़े तीन बजे मंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था।
पोनमुडी को शपथ दिलाए जाने के बारे में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा था, 'अगर हम कल आपकी ओर से नहीं सुनते हैं तो हम राज्यपाल को संविधान के अनुसार कार्य करने का निर्देश देने वाला एक आदेश पारित करेंगे। हम तमिलनाडु के राज्यपाल और उनके व्यवहार के बारे में गंभीर रूप से चिंतित हैं। उनके पास ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। वह सुप्रीम कोर्ट को चुनौती दे रहे हैं। ...हम आंखें खुली रख रहे हैं और कल (शुक्रवार को) हम फैसला करेंगे।'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को आय से अधिक संपत्ति के मामले में पोनमुडी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी और तीन साल की जेल की सजा को निलंबित कर दिया था। इसके बावजूद आरएन रवि द्वारा पोनमुडी को राज्य मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने से इनकार करने के बाद एमके स्टालिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
उन्होंने कहा था कि यह संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा। मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में संपत्ति मामले में उनको बरी किए जाने के फैसले को पलटने के बाद पोनमुडी को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि और दो साल की जेल की सजा पर रोक लगा दी। राज्य सरकार ने तब उन्हें मंत्री पद पर बहाल करने की मांग की थी, लेकिन राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि उनकी सजा को केवल निलंबित किया गया है, रद्द नहीं किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की कड़ी आलोचना की और यहाँ तक टिप्पणी कर दी थी कि वह सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर रहे हैं।
एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने पर शीर्ष अदालत द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी डीएमके नेता के पोनमुडी को राज्यपाल ने राज्य मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने से इनकार कर दिया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने राज्यपाल की खिंचाई करते हुए कहा था, 'हम इस मामले में राज्यपाल के आचरण को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं।'
सीजेआई ने कहा था, 'हम राज्यपाल को संविधान के अनुसार कार्य करने का निर्देश देने वाले आदेश को पारित करने से नहीं हिचकेंगे, उस स्थिति से बचने के लिए हम समय दे रहे हैं।'
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें