जिस 2जी स्पेक्ट्रम का विवाद 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले खड़ा हुआ था और जिसे कांग्रेस की हार के लिए एक बड़ी वजह माना जाता है, उसका जिन्न फिर से बाहर आएगा! दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में फ़ैसले को चुनौती दे सकता है। इस 2जी स्पेक्ट्रम मामले में तत्कालीन मंत्री ए राजा पर आरोप लगे थे, लेकिन काफी जाँच-पड़ताल के बाद 2017 में ए राजा और अन्य को बरी कर दिया गया था।
यह फ़ैसला 2जी मामले में आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती देने के लिए सीबीआई द्वारा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के छह साल बाद आया है। इस केस को सीबीआई द्वारा फिर से खोलने से यह राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने सीबीआई द्वारा दायर अपील की अनुमति पर यह आदेश सुनाया। 14 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
अदालत ने कहा, 'रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री, फैसले और दोनों पक्षों द्वारा बार में दी गई दलीलों को देखने के बाद इस अदालत की राय है कि प्रथम दृष्टया एक मामला बनता है जिसके लिए पूरे सबूतों की गहन जांच की ज़रूरत है।' अदालत ने कहा, 'सीबीआई द्वारा तर्कपूर्ण बिंदु बनाए गए हैं, जिससे अपील की अनुमति को नियमित अपील में बदल दिया गया है। अपील की अनुमति दी जाती है।' इसके साथ ही अदालत ने सीबीआई के मामले को मई में सुनवाई के लिए अगली तारीख तय की।
21 दिसंबर 2017 को एक विशेष अदालत ने ए राजा, डीएमके सांसद कनिमोझी और अन्य को विभिन्न अपराधों से बरी कर दिया था। पहले आरोप लगाया गया था कि 1.76 लाख करोड़ का 2जी घोटाला था।
विशेष सीबीआई अदालत ने ईडी मामले में दिवंगत द्रमुक सुप्रीमो एम. करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल, विनोद गोयनका, आसिफ बलवा, फिल्म निर्माता करीम मोरानी, पी. अमृतम और कलैगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार जैसे लोगों को भी बरी कर दिया था। स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, यूनिटेक वायरलेस लिमिटेड, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड को भी बरी किया गया था।
मार्च, 2018 में ईडी ने बरी करने के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। बाद में सीबीआई ने भी बरी किए जाने को चुनौती देते हुए याचिका दायर की। सीबीआई ने 2011 में दायर अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि राजा ने अपने पूर्व निजी सचिव आर.के. के साथ साजिश रची थी।
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