पूरी दुनिया में जल संकट बढ़ रहा है। खासकर भारत जैसे देश जो कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था के दायरे में आते हैं, यहां यह संकट तो और भी गंभीर है। लेकिन जिस देश में रात-दिन मुद्दा हिन्दू-मुसलमान हो, उस देश में 60-70 फीसदी लोगों की पानी की जरूरत को पूरा करने पर बात क्यों होगी। स्तंभकार वंदिता मिश्रा ने भारत की जनता की इस प्यास को जानने की कोशिश की है कि वो कितनी बड़ी है। ऐसी प्यास जो किसी 'कोला' के पीने से नहीं बुझेगी। पढ़िए और महसूस कीजिए इस प्यास कोः