निर्देशक जॉर्ज मिलर की 2015 में आई ऑस्ट्रेलियन पोस्ट-अपॉकलिप्टिक फिल्म ‘मैड मैक्स: फ्युरी रोड’ वैसे तो एक कॉमिक बुक पर आधारित फिल्म है लेकिन अपनी विषयवस्तु के कारण यह हमारे दौर की बेहद प्रासंगिक फिल्म है। पानी और ईंधन से जूझ रहे एक समाज और उसमें पनपते अपराधों को समेटती यह फिल्म हर व्यक्ति द्वारा देखी जानी चाहिए जिससे पानी को न सिर्फ एक कीमती संसाधन के रूप में अच्छे से समझा जा सके बल्कि यदि जरूरत पड़े तो इसे कीमती गहनों की तरह सहेजने और बचाने के विचार के रूप में भी आगे बढ़ाया जा सके।
क्या भारत सरकार अपने नागरिकों की प्यास बुझाने को तैयार है?
- विमर्श
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- 12 May, 2024

पूरी दुनिया में जल संकट बढ़ रहा है। खासकर भारत जैसे देश जो कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था के दायरे में आते हैं, यहां यह संकट तो और भी गंभीर है। लेकिन जिस देश में रात-दिन मुद्दा हिन्दू-मुसलमान हो, उस देश में 60-70 फीसदी लोगों की पानी की जरूरत को पूरा करने पर बात क्यों होगी। स्तंभकार वंदिता मिश्रा ने भारत की जनता की इस प्यास को जानने की कोशिश की है कि वो कितनी बड़ी है। ऐसी प्यास जो किसी 'कोला' के पीने से नहीं बुझेगी। पढ़िए और महसूस कीजिए इस प्यास कोः