दिल्ली के 2028 तक क्योटो को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर बनने की संभावना है और इस रिकॉर्ड पर भले ही आप गर्व करने लगें, लेकिन यह दिल्ली के लिए ख़तरनाक संकेत है। ख़तरनाक इसलिए कि मौजूदा आबादी को ही दिल्ली सह नहीं पा रही है। पीने के पानी की भारी किल्लत है। स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल हैं। हॉस्पिटलों में भारी भीड़ है। यातायात व्यवस्था चरमराई है। बारिश का पानी जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है। और कचरे का कुप्रबंधन जैसी समस्याएँ ख़तरनाक स्तर तक हैं। ऐसे में जब दिल्ली में जनसंख्या काफ़ी बढ़ चुकी होगी, क्या दिल्ली बच पाएगी?
दिल्ली के इस रिकॉर्ड पर गर्व नहीं होगा, यह बर्बादी की तसवीर है...
- दिल्ली
- |
- |
- 19 Aug, 2019

दिल्ली के 2028 तक क्योटो को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर बनने की संभावना है और इस रिकॉर्ड पर भले ही आप गर्व करने लगें, लेकिन यह दिल्ली के लिए ख़तरनाक संकेत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी पिछले हफ़्ते लाल क़िले से अपने भाषण में जनसंख्या विस्फोट, जल संकट जैसी ऐसी ही समस्याओं और ख़तरे की ओर इशारा किया है। इस मामले में दिल्ली की स्थिति ज़्यादा चिंताजनक है। संयुक्त राष्ट्र की मई 2018 की एक रिपोर्ट कहती है कि 2028 तक दिल्ली दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर बन जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार तब दिल्ली में 2.9 करोड़ लोग रहे थे और 2028 तक इसके 3.72 करोड़ हो जाने की संभावना है। फ़िलहाल टोक्यो में सबसे ज़्यादा 3.7 करोड़ आबादी रहती है। टोक्यो में 2020 से आबादी कम होने लगेगी और 2028 तक घटकर इसके 3.68 करोड़ तक पहुँच जाने की संभावना है।