दिल्ली के 2028 तक क्योटो को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाला शहर बनने की संभावना है और इस रिकॉर्ड पर भले ही आप गर्व करने लगें, लेकिन यह दिल्ली के लिए ख़तरनाक संकेत है। ख़तरनाक इसलिए कि मौजूदा आबादी को ही दिल्ली सह नहीं पा रही है। पीने के पानी की भारी किल्लत है। स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल हैं। हॉस्पिटलों में भारी भीड़ है। यातायात व्यवस्था चरमराई है। बारिश का पानी जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है। और कचरे का कुप्रबंधन जैसी समस्याएँ ख़तरनाक स्तर तक हैं। ऐसे में जब दिल्ली में जनसंख्या काफ़ी बढ़ चुकी होगी, क्या दिल्ली बच पाएगी?