लिंचिंग यानी पीट-पीट कर मार डालने की अजीब दास्ताँ है। सरेआम पीट-पीट कर मार दिए गये। लिन्चिंग के वीडियो बने। कुछ मामलों में मृतकों ने मौत से पहले पीटने वालों के नाम तक बताए। प्रत्यक्षदर्शी थे। फिर भी सज़ा नहीं। है न ताज्जुब की बात? ताज्जुब तो यह है कि मोदी सरकार कहती है कि लिंचिंग के दोषी बख्शे नहीं जाएँगे। प्रधानमंत्री मोदी तक चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में क्या यह संभव है कि लिंचिंग के दोषियों को सज़ा नहीं मिले? मोदी सरकार के बयान, बीजेपी नेताओं के व्यवहार और वास्तविक कार्रवाई में समानता क्यों नहीं है? ऐसे अभियुक्तों को जेल से छूटने पर मंत्री तक ज़ोरदार स्वागत क्यों करते हैं? झारखंड में तबरेज़ अंसारी के मामले में जो रिपोर्ट आयी है वह क्या यही दास्ताँ बयाँ नहीं करती है?
अख़लाक़ से तबरेज़ तक: लिंचिंग में हत्यारों को क्यों बचा रही हैं सरकारें?
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- 10 Sep, 2019
लिंचिंग की अजीब दास्ताँ है। सरेआम पीट-पीट कर मार दिए गये। लिन्चिंग के वीडियो बने। कुछ मामलों में मृतकों ने मौत से पहले पीटने वालों के नाम तक बताए। प्रत्यक्षदर्शी थे। फिर भी सज़ा नहीं। ज़िम्मेदार कौन?

22 साल के तबरेज़ को जून महीने में बाइक चोरी के शक में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था और उससे ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे भी लगवाए थे। अब तबरेज़ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट कहती है कि तबरेज़ की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी न कि भीड़ के द्वारा की गई पिटाई से। पुलिस ने इस मामले में 11 अभियुक्तों पर से हत्या की धारा को भी हटा दिया है। यानी हो गई निष्पक्ष जाँच! मिल गया न्याय! वैसा ही न्याय जैसा पहलू ख़ान, जुनैद, अख़लाक़ जैसे मामले में मिला। ऐसी सज़ा के ख़ौफ़ से अब कहीं लिंचिंग होगी ही नहीं?