लिंचिंग यानी पीट-पीट कर मार डालने की अजीब दास्ताँ है। सरेआम पीट-पीट कर मार दिए गये। लिन्चिंग के वीडियो बने। कुछ मामलों में मृतकों ने मौत से पहले पीटने वालों के नाम तक बताए। प्रत्यक्षदर्शी थे। फिर भी सज़ा नहीं। है न ताज्जुब की बात? ताज्जुब तो यह है कि मोदी सरकार कहती है कि लिंचिंग के दोषी बख्शे नहीं जाएँगे। प्रधानमंत्री मोदी तक चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में क्या यह संभव है कि लिंचिंग के दोषियों को सज़ा नहीं मिले? मोदी सरकार के बयान, बीजेपी नेताओं के व्यवहार और वास्तविक कार्रवाई में समानता क्यों नहीं है? ऐसे अभियुक्तों को जेल से छूटने पर मंत्री तक ज़ोरदार स्वागत क्यों करते हैं? झारखंड में तबरेज़ अंसारी के मामले में जो रिपोर्ट आयी है वह क्या यही दास्ताँ बयाँ नहीं करती है?