पाकिस्तान ने अंत में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठा ही दिया। जेनेवा स्थित मुख्यालय में चल रही बैठक में पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र से कहा है कि वह कश्मीर को लेकर चुप न रहे। इसके साथ ही इसलामाबाद ने कश्मीर की स्थिति की अंतरराष्ट्रीय जाँच कराने की माँग की है।
यूएनएचआरसी के 42वें सम्मेलन के शुरुआती सत्र में भाग लेते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर के लोगों के सम्मान और न्याय की माँग करते हुए मैंने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है।'
भारत ने इस पर क़रारा जवाब देते हुए कहा है कि वह किसी कीमत पर अपने अंदरूनी मामले में किसी तरह की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने कहा, 'कोई देश अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा, भारत तो नहीं ही करेगा।'
यूएनएचआरसी में 47 सदस्य देश हैं। भारत ने 45 देशों के साथ संपर्क कर इस मुद्दे पर उनका समर्थन लेने की कोशिश की है। लैटिन अमेरिका, एशिया प्रशांत और अफ़्रीका के कई देशों ने भारत को आश्वस्त किया है कि वे कश्मीर के मुद्दे पर उसके साथ हैं। पर भारत को यह देखना होगा कि वे वोटिंग के दौरान मौजूद रहें और प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट करें। यदि उन्होंने कोई बहाना बनाया और वोटिंग के दौरान ग़ैरहाज़िर रहे तो यह बात भारत के ख़िलाफ़ ही जाएगी।
पाकिस्तान ने यूएनएचआरसी प्रमुख की कही बातों का उल्लेख करते हुए भारत को घेरने की कोशिश की। क़ुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान आयोग के संस्थापक सदस्यों में एक है और वह किसी सूरत में इस महान निकाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा नहीं होने देगा। यह उसकी ज़िम्मेदारी है कि वह मानवाधिकार उल्लंघन के मामले उठाता रहे और इसलिए उसने यह मुद्दा उठाया है।
यूएनएचआरसी की प्रमुख मिशेल बेकले ने सोमवार को एक बयान जारी कर कश्मीर की घटनाओं पर चिंता जताई और इस बहाने अपरोक्ष रूप से ही सही, भारत की निंदा की। उन्होंने कहा :
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हाल के दिनों में भारत सरकार की ओर से उठाए गए कदमों का कश्मीरियों के मानवाधिकारों पर जो असर पड़ा है, मैं उससे काफ़ी चिंतित हूँ। इसमें इंटरनेट और लोगों के शांतिपूर्ण तरीके से एकत्रित होने के अधिकार पर लगी रोक और स्थानीय रानजीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी भी शामिल है।
मिशेल बेकले, यूएनएचआरसी प्रमुख
पाकिस्तान ने इसका भरपूर फ़ायदा उठाया। उसके विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि यूएनएचआरसी प्रमुख की चिंताएँ बिल्कुल वाजिब हैं और इसकी परंपराओं के अनुरूप ही हैं। उसने बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई, लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया और उन्हें अपनी बात कहने तक का हक़ नहीं है।
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