संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार मामलों की इकाई द्वारा भारत के सुप्रीम कोर्ट में सीएए के मामले पर पक्षकार बनने के लिए दरखास्त डालना असाधारण मामला है। भारत के लिए तो यह पहली बार है। ओआईसी, अमेरिकी मानवाधिकार आयोग, ब्रिटिश सरकार और ईरान सरकार के बाद ख़ुद संयुक्त राष्ट्र का सीएए के विरोध में इस हद तक सामने आना हमारे विदेश मंत्रालय के लिए असंभव जैसी चुनौती है। देखिए शीतल के सवाल।