यूपी में ऐसे नतीजे क्यों आए? कहीं इसलिए तो नहीं कि सपा-बसपा-रालोद जहाँ यादव, जाटव और मुसलिम बिरादरी के वोटों को सहेजने में आश्वस्त होकर बैठ गया वहीं बीजेपी ने 33 अन्य पिछड़ी व दलित जातियों को बटोरने का काम किया।
अपने क़िले गोरखपुर को बचाने के लिए योगी आदित्यनाथ ने सब कुछ दाँव पर लगा दिया है। सोमवार से चुनाव तक योगी हर रात गोरक्षनाथ मठ में गुजारेंगे। अगले पाँच दिन में 19 जनसभाएँ, कार्यकर्ताओं की एक दर्जन बैठकें लेंगे।
पहले तो कांग्रेस ने बनारस में मोदी के लिए खुला मैदान छोड़ा, लेकिन अब अब अजय राय के प्रचार में प्रियंका बनारस आ रही हैं। बनारस में प्रियंका का लंबा रोड शो होगा। इस रोड शो को यादगार बनाने की तैयारी हो रही है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में ‘करो या मरो’ की जंग लड़ रही बीजेपी के सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को टोंटीचोर कहना महँगा पड़ सकता है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत निश्चित मानी जा रही है, लेकिन वाराणसी के आसपास के क्षेत्रों में माहौल ऐसा नहीं है। कितना असर होगा सपा-बसपा गठबंधन का?
लोकसभा चुनाव के पाँच चरणों के मतदान हो जाने के बाद नतीजों को लेकर तसवीर काफ़ी हद तक साफ़ हो गई लगती है। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजय रथ अटकता दिख रहा है।
पूर्वांचल की कम से कम 16 सीटों पर गठबंधन को 2014 में जो कुल वोट मिले थे वे बीजेपी को मिले वोटों से काफ़ी ज़्यादा थे। ग्यारह सीटों पर बीजेपी आगे थी। तो क्या बीजेपी की मुश्किल नहीं बढ़ेगी?
आख़िरी दो चरणों में उत्तर प्रदेश के जिन क्षेत्रों में चुनाव होने जा रहे हैं वे औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए हैं। गोरखपुर में अब हथकरघा, खादी, शहद उत्पादन, चमड़े का कारोबार कहीं नज़र नहीं आता है। क्या ये चुनावी मुद्दे बनेंगे?
यूपी में पहले तीन चरणों में बीजेपी को बड़ा सियासी नुक़सान होने की आशंका है। इसीलिए चौथे चरण से पहले पीएम मोदी ने ख़ुद मोर्चा संभालते हुए वाराणसी में हिंदू कार्ड खेला।
यूपी के जातीय चक्रव्यूह में फँसी बीजेपी के लिए सहारा ग़ैर-यादव पिछड़े और ग़ैर-जाटव दलित नज़र आ रहे हैं। हालाँकि इस बिरादरी के चेहरे इस बार या तो नज़र नहीं आ रहे या उन्हें तवज्जो तक नहीं मिल रही।
आज़म ख़ान की किस बात पर नाराज़ हैं उनकी पूर्व सहयोगी जया प्रदा? लोकसभा चुनाव में रामपुर में दोनों एक-दूसरे के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रहे हैं। देखिये वरिष्ठ पत्रकार शैलेश और शीतल पी. सिंह के साथ चर्चा।
मेनका गाँधी ने उनके पक्ष में वोट नहीं डालने पर इशारों में ही मुसलमानों को धमका दिया। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में मेनका ने एक सभा में कहा कि मुसलमान उन्हें वोट दें, नहीं तो उनकी समस्याओं पर वह ध्यान नहीं देंगी।
क्या इस लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का बकाया भुगतान और आवारा पशुओं की समस्या के मुद्दे चुनाव को प्रभावित करेंगे? इस सवाल का जवाब इससे मिलेगा कि गन्ना किसान नाराज़ हैं या ख़ुश।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में आश्चर्यजनक रूप से हर बार मुसलिम राजनीति के केंद्र में रहने वाले इन इलाक़ों में रहस्यमय चुप्पी का नज़ारा है। शायद यह पहली बार है कि ज़्यादातर दलों से सबसे कम मुसलिम प्रत्याशी इस चुनाव में उतरे हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा को डर है कि इस बार अमेठी में उनकी ग़ैर-मौजूदगी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की मुश्किलें बढ़ सकती है।