हार अनाथ होती है और जीत का हर कोई माई-बाप होता है।
यूपी में 'तीन बनाम तैंतीस' की लड़ाई जीत गई बीजेपी!
- उत्तर प्रदेश
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- 24 May, 2019

यूपी में ऐसे नतीजे क्यों आए? कहीं इसलिए तो नहीं कि सपा-बसपा-रालोद जहाँ यादव, जाटव और मुसलिम बिरादरी के वोटों को सहेजने में आश्वस्त होकर बैठ गया वहीं बीजेपी ने 33 अन्य पिछड़ी व दलित जातियों को बटोरने का काम किया।
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन की क़रारी हार और प्रियंका जैसे तुरुप के पत्ते को सामने लाने के बाद कांग्रेस का अपना गढ़ अमेठी हार जाने के बाद तमाम कारण गिनाए जा सकते हैं। कागज पर ही सही पर सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन अपने आप में ख़ासा मारक था। कांग्रेस महासचिव बनायी गयी प्रियंका गाँधी ने कह ही दिया था कि उनके प्रत्याशी कई जगह वोटकटवा बन गठबंधन की मदद कर रहे थे। तमाम दावों के बाद ढेरों की तादाद में पुराने प्रत्याशी उतार कर बीजेपी ने जनता की नाराज़गी को हवा दी थी। कुल मिलाकर यूपी में ज़मीन पर बीजेपी उतनी मज़बूत तो नहीं ही दिख रही थी जितनी नतीजों में नज़र आयी। कई जगहों पर तो गठबंधन का यादव-मुसलिम-दलित समीकरण इतना मज़बूत था कि कोई वजह नहीं बनती है कि वह हार जाता। मगर नतीजे चौंकाने वाले निकले और तमाम ऐसी जगहों पर बीजेपी के प्रत्याशी आसानी से निकले जहाँ उम्मीद नहीं थी। कड़े मुक़ाबले वाली कम से कम आधा दर्जन सीटों पर बेहद कम अंतर से ही सही पर बीजेपी प्रत्याशियों ने गठबंधन को मात दी।