चौथे चरण के मतदान में उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। इनमें से 2014 में बीजेपी ने 12 सीटें जीती थीं और एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई थी। इस चरण में बीजेपी के सामने पिछले चुनाव मे जीतीं अपनी सभी 12 सीटें बरक़रार रखने की चुनौती है। सपा-बसपा गठबंधन जातीय समीकरणों के सहारे बीजेपी से अपनी पुरानी ज़मीन छीनने की कोशिश में है। कांग्रेस की कोशिश मुक़ाबले को त्रिकोणीय बनाकर वह सीटें झटकने की है, जहाँ उसे 2009 में जीत मिली थी।
अपनी दर्जन भर सीटें और साख़ बचाने के लिए बीजेपी ने इस चरण में पूरी ताक़त झोंक दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन तक वाराणसी में डेरा डाला। रोड शो किया। पर्चा भरा। गंगा घाट पर आरती की। बीजेपी के सहयोगी दलों के तमाम दिग्गज नेताओं को एक मंच पर खड़ा करके प्रदेश की जनता को संदेश देने की कोशिश की कि सपा-बसपा गठबंधन के मुक़ाबले उनका गठबंधन कहीं ज़्यादा बड़ा है। राष्ट्रीय स्तर पर है।
प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में खुलेआम हिंदू कार्ड खेलकर सपा-बसपा के जातीय समीकरणों को तोड़ने की कोशिश की। प्रधानमंत्री के इस दाँव से चौथे चरण में मंडल और कंमडल के बीच सीधी रस्साकशी के हालात बन गए हैं।
चौथे चरण में बीजेपी सभी 13 सीटों पर तो कांग्रेस 12 सीटों पर चुनाव मैदान में है। गठबंधन में सपा 7 तो बसपा 6 सीटों पर लड़ रही है। कांग्रेस ने कन्नौज में डिम्पल यादव के ख़िलाफ़ उम्मीदवार नहीं उतारा है।
गठबंधन में सपा हरदोई, उन्नाव, इटावा, कन्नौज, कानपुर, खीरी और बुंदेलखंड के झांसी में चुनाव लड़ रही है, वहीं बसपा शाहजहाँपुर, मिश्रिख, फ़र्रुख़ाबाद, अकबरपुर, जालौन और हमीरपुर सीट पर चुनाव मैदान में है। इस चरण में डिम्पल यादव, राम शंकर कठेरिया, सत्यदेव पचौरी, श्रीप्रकाश जायसवाल, देवेन्द्र सिंह भोले आदि दिग्गजों की प्रतिष्ठा दाँव पर है। आइए, इन सीटों के सियासी हालात पर एक नज़र डालते हैं।
शाहजहाँपुरः इस सीट पर 20 लाख 97 हज़ार मतदाता हैं। बीजेपी ने यहाँ से अपनी सांसद कृष्णा राज का टिकट काट कर अरुण सागर को चुनाव मैदान में उतारा है। गठबंधन की तरफ़ से बसपा के अमरचंद्र जौहर उन्हें चुनौती दे रहे हैं। कांग्रेस के ब्रह्म स्वरूप मुक़ाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी को 46.5 प्रतिशत वोट मिले थे। बीजेपी पीएम मोदी के सहारे दमख़म दिखा रही है। लेकिन इस सुरक्षित सीट पर 4.2 लाख दलित, 4.5 मुसलिम और बड़ी संख्या में ओबीसी मतदाताओं के सहारे गठबंधन बीजेपी को कड़ी चुनौती दे रहा है।
खीरीः कुल 17.57 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद अजय कुमार को उतारा है। सपा से पूर्वी वर्मा मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहाँ से 2009 में जीते ज़फ़र अली नक़वी को फिर से मौक़ा दिया है। कुर्मी बहुल मानी जाने वाली इस सीट पर सबसे ज़्यादा 5.10 लाख ओबीसी, उसके बाद 4.75 लाख दलित, 3.86 लाख सवर्ण और 3.33 लाख मुसलिम मतदाता हैं। कांग्रेस इस सीट पर 2009 का नतीजा दोहराने की उम्मीद कर रही है।
हरदोईः क़रीब 18 लाख मतदाताओं वाली इस सीट बीजेपी ने अपने सासंद अंशुल वर्मा का टिकट काट कर सपा से आए जयप्रकाश रावत को मैदान में उतारा है। सपा से ऊषा वर्मा मैदान में हैं। कांग्रेस ने विरेंद्र कुमार को उतारा है। यहाँ सबसे ज़्यादा 5.55 लाख दलित, 5.29 लाख सवर्ण, 3.56 लाख ओबीसी और 3.5 लाख मुसलिम मतदाता हैं। जातीय समीकरणों के आधार पर यहाँ बीजेपी को गठबंधन की तरफ़ से कड़ी चुनौती मिल रही है।
फ़र्रुख़ाबादः यहाँ से कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान ख़ुर्शीद की साख़ दाँव पर है। वहीं, बीजेपी के मौजूदा सांसद मुकेश राजपूत सीट बचाने के लिए जूझ रहे हैं। गठबंधन से बसपा के मनोज अग्रवाल मैदान में हैं। कुल 16.88 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर 2.5 लाख दलित, 2.10 लाख राजपूत, 1.75 लाख यादव और इतने ही मुसलिम मतदाता प्रभावी हैं।
कन्नौजः कुल 18.55 लाख मतदाताओं वाली इत्र नगरी कन्नौज में इस बार सीधा मुक़ाबला सपा की उम्मीदवार और वर्तमान सांसद डिंपल यादव और बीजेपी के सुब्रत पाठक के बीच है। कांग्रेस ने यहाँ से डिंपल को समर्थन दिया है। शिवपाल यादव ने भी डिंपल यादव के समर्थन में अपना उम्मीदवार वापस ले लिया है। यहाँ 8.00 लाख ओबीसी, 4.50 लाख सवर्ण, 3 लाख दलित और 2.50 लाख मुसलिम मतदाता हैं। यहाँ पलड़ा गठबंधन की तरफ़ झुका हुआ लगता है।
उन्नावः कुल 21.77 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद साक्षी महाराज फिर मैदान में हैं। सपा ने यहाँ से पूजा पाल को उतारा था, बाद में उनका टिकट काट कर पिछली बार के प्रत्याशी अरुण कुमार शुक्ला अन्ना को टिकट दिया है। कांग्रेस ने 2009 में जीतीं अनु टंडन को मैदान में उतारा है। 5.45 लाख सवर्ण, 5.50 लाख दलित, 7 लाख पिछड़े और 2.15 लाख मुसलिम मतदाता यहाँ के मुक़ाबले को रोचक बना रहे हैं। साक्षी महाराज के पिछड़ी जाति से होने की वजह से बीजेपी यहाँ काफी मज़बूत नज़र आती है।
कानपुर में कांग्रेस इस बार जीत की उम्मीद कर रही है। कानपुर के क़रीब 17 लाख मतदाताओं में से 5.16 लाख सवर्ण, 3.80 लाख दलित, 3 लाख मुसलिम और क़रीब इतने ही पिछड़े वर्ग के हैं।
जालौनः कुल 19.17 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद भानु प्रताप वर्मा फिर मैदान मे हैं। कांग्रेस ने ब्रजलाल खाबरी को टिकट दिया है। गठबंधन की ओर से बसपा के उम्मीदवार अजय सिंह पंकज मैदान में हैं। यहाँ सबसे ज़्यादा 8.95 लाख दलित, 5.6 लाख सवर्ण, 2.42 लाख पिछड़े वर्ग के तो 1.76 लाख मुसलिम मतदाता हैं।
हमीरपुरः बीजेपी ने यहाँ से मौजूदा सांसद कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस से प्रीतम सिंह लोधी और बसपा से दिलीप कुमार सिंह मैदान में हैं। कुल 17.38 लाख मतदाताओं में 7 लाख पिछड़े, 4.75 लाख ब्राह्मण, 4 लाख दलित, 1.25 लाख मुसलमानों के बीच जीत के आँकड़े उलझे हुए हैं।
इटावाः इस सुरक्षित सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद अशोक कुमार का टिकट काटकर आगरा से सांसद राम शंकर कठेरिया को मैदान में उतारा है। लेकिन अशोक कुमार ने कांग्रेस का हाथ थाम कर यहाँ बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सपा ने अपने पुराने प्रत्याशी कमलेश कुमार को दोबारा मौक़ा दिया है। सपा का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) से शम्भू दयाल दोहरे भी मैदान में हैं। यहाँ 17.39 लाख मतदाताओं में 4.50 लाख सवर्ण, 4.00 दोहरे, 1.50 यादव और 1.10 मुसलमानों के बीच जीत फंसी हुई है।
मिश्रिखः बीजेपी ने यहाँ से अपनी मौजूदा सांसद अंजू बाला का टिकट काट कर अशोक कुमार रावत को उतारा है। गठबंधन की ओर से बसपा के टिकट पर नीलू सत्यार्थी हैं और कांग्रेस से मंजरी राही। यहाँ 17.79 लाख मतदाताओं में 5.52 लाख दलित, 5.15 लाख पिछड़े, 4.80 लाख सवर्ण, 2.32 लाख मुसलिम हैं। दलित, मुसलिम और पिछड़े गठजोड़ के हिसाब से यहाँ गठबंधन का पलड़ा भारी दिखता है।
अकबरपुरः कुल 14.81 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद देवेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है। गठबंधन ने निशा सचान और कांग्रेस ने 2009 में जीते राजाराम पाल को उतारा है। यहाँ 6.8 लाख ओबीसी, 5.2 लाख सवर्ण, 4.6 लाख दलित और 1.5 लाख मुसलिम मतदाता जीत-हार का फ़ैसला करेंगे।
झांसीः इस सीट से बीजेपी की मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री उमा भारती इस बार चुनाव नहीं लड़ रही हैं। उनकी जगह अनुराग शर्मा को टिकट मिला है। गठबंधन की तरफ़ से श्याम सुंदर सिंह मैदान में हैं। कांग्रेस ने पूर्व बसपा नेता बाबू सिंह कुशवाहा के बड़े भाई शिवशरण कुशवाहा को उतारा है। झांसी के कुल 20 लाख मतदाताओं में 7.5 लाख पिछड़े, 6 लाख सवर्ण, 5 लाख दलित और 1.50 लाख मुसलमानों के बीच बनते-बिगड़ते समीकरण जीत हार का फैसला करेंगे।
उत्तर प्रदेश में तीन चरणों में सूबे की कुल 26 सीटों पर मतदान हो चुका है। अभी चार चरणों में 54 सीटों पर पर मतदान होना बाक़ी है। पहले तीन चरणों में बीजेपी को बड़ा सियासी नुक़सान होने की आशंका है। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने ख़ुद मोर्चा संभालते हुए वाराणसी में बीजेपी और एनडीए की ताक़त दिखाई। हिंदू कार्ड खेला। अगर यह कार्ड चल गया तो चौथे चरण से पहले तीन चरणों में होने वाले नुक़सान की भरपाई की शुरुआत हो जाएगी।
वाराणसी में पीएम मोदी के नए हिंदू अवतार में दिखने के बाद सपा-बसपा गठबंधन के साथ ही कांग्रेस के सामने अपने हिंदू मतदाताओं को बीजेपी की तरफ़ जाने से रोकने की चुनौती खड़ी हो गई है।
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