जेडीयू ने चुनाव में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 16 सीटों पर जीत हासिल की। नीतीश कुमार ने दिखाया है कि राज्य में उनका अपना वोट बैंक है और वह उनसे मजबूती से जुड़ा है।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस एक बड़े संकट में फँस गयी है। राहुल का कहना है कि अध्यक्ष कोई और बने। पर क्या कांग्रेस बिना नेहरू गाँधी परिवार के चल पायेगी? एक रह पायेगी?
लोकसभा चुनावों में जहाँ कांग्रेस को देशभर में क़रारी हार का सामना करना पड़ा है, वहीं उत्तरी भारत में पंजाब ही एक मात्र ऐसा राज्य रहा जहाँ मोदी लहर का असर नहीं हुआ।
छह महीने पहले राज्य विधानसभा के चुनावों में मध्य प्रदेश में सरकार बनाने वाली कांग्रेस की नैया देशव्यापी ‘मोदी लहर’ और ‘मोदी सुनामी’ के बीच हुए लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से डूब गई।
केरल में वामपंथी पार्टियों की हार से यह साफ़ हो गया है कि पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के बाद केरल से भी वाम मोर्चे का सफ़ाया हो सकता है। बीजेपी ध्रुवीकरण की तलाश में है।
अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद ‘राष्ट्र को धन्यवाद’ देते हुए नरेन्द्र मोदी अगर धर्मनिरपेक्षता के डिस्कोर्स को ध्वस्त करने को अपनी सबसे प्रमुख उपलब्धि बता रहे थे तो इसका संदेश क्या है?
चुनाव में बीजेपी की इतनी धमाकेदार जीत कैसे हुई कि यह 2014 के आँकड़े को भी पार कर गई? अमित शाह ने ऐसा क्या किया कि बीजेपी अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाई और कांग्रेस लगातार दूसरी बार धराशायी रही?
कांग्रेस एक बार फिर चुनाव हारी है और इस बार वह 2014 में मिली सीटों में सिर्फ़ 8 सीटों का ही इज़ाफ़ा कर पाई है। अब सवाल यह है कि क्या वह अब ख़ुद को खड़ी कर पाएगी।
यूपी में ऐसे नतीजे क्यों आए? कहीं इसलिए तो नहीं कि सपा-बसपा-रालोद जहाँ यादव, जाटव और मुसलिम बिरादरी के वोटों को सहेजने में आश्वस्त होकर बैठ गया वहीं बीजेपी ने 33 अन्य पिछड़ी व दलित जातियों को बटोरने का काम किया।