लोकसभा चुनावों में जहाँ कांग्रेस को देशभर में क़रारी हार का सामना करना पड़ा है, वहीं उत्तरी भारत में पंजाब ही एक मात्र ऐसा राज्य रहा जहाँ मोदी लहर का असर नहीं हुआ। मोदी लहर को रोकने में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की भूमिका अहम रही। अमरिंदर सिंह इस जीत से एकबार फिर मज़बूत होकर उभरे हैं।
ताज़ा ख़बरें
पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं और मिशन 13 की कामयाबी के लिए कैप्टन को अकेले ही दमख़म लगाना पड़ा। जहाँ एक ओर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने प्रचार से दूरी बनाये रखी तो दूसरी ओर उनकी ही सरकार के कबीना मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू खुलकर कैप्टन के ख़िलाफ़ आग उगलते रहे। बीजेपी व अकाली दल 84 के सिख दंगों के बहाने पंजाब में कांग्रेस के ख़िलाफ़ माहौल बनाने की पूरी कोशिश करते रहे। अमरिंदर सिंह की राष्ट्रवादी छवि ने पंजाब में मोदी लहर को हावी नहीं होने दिया। हालाँकि शहरों में मत विभाजित हुए हैं लेकिन इसके बावजूद यहाँ भी पलड़ा कांग्रेस का ही भारी रहा। दूसरी तरफ़ ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री ने पूर्व अकाली सरकार के समय धार्मिक ग्रंथों की हुई बेअदबी के मामले को जोर-शोर से उछाला, जिसका मुक़ाबला करने में अकाली दल असफल रहा।
कांग्रेस ने इस बार पंथक कहलाने वाली सीटें श्री खडूर साहिब व श्री फतेहगढ़ साहिब को भी जीत लिया। कभी श्री खडूर साहिब सीट को अकाली दल अपनी पक्की सीट मान कर चलता था, परन्तु इस बार कांग्रेस ने अकाली दल को यहाँ हाशिए पर धकेल दिया है।
अमरिंदर ने चुनावों के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि जो मंत्री व विधायक अपने क्षेत्रों में कांग्रेस को बढ़त नहीं दिलवा सकेंगे, उनका सियासी भविष्य अधिक उज्ज्वल नहीं होगा। मुख्यमंत्री ने तो यह भी कह दिया था कि जो विधायक अपने हलकों में हारेंगे, उन्हें अगली बार पार्टी टिकट नहीं देगी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की तरफ़ से यह संदेश अमरिंदर सिंह ने पूरे प्रदेश में फैला दिया, जिसका सकारात्मक असर देखने को मिला। मुख्यमंत्री के बयान के बाद कांग्रेसी विधायकों व नेताओं पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ गया था जिसके बाद उन्होंने अपने-अपने हलकों में कमान संभाल ली थी।
चुनाव 2019 से और ख़बरें
भारतीय वायुसेना ने जब पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था तथा केन्द्र सरकार ने उसका श्रेय लेना शुरू किया था तो उस समय पंजाब की सीमा पर भी युद्ध के बादल मंडरा रहे थे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने स्वयं भारत-पाक सीमा पर जाकर एक तरफ़ जहाँ भारतीय जवानों का हौसला बढ़ाया था, तो दूसरी तरफ़ उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे लोगों के साथ मिलकर उनका मनोबल भी ऊँचा किया था। ऐसा करने से कैप्टन अमरिंदर सिंह की राष्ट्रवादी छवि सामने आई थी। कैप्टन स्वयं भारतीय फौज में रहे हैं और वह लगातार पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बोलते रहे।
पंजाब में 2014 में कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थीं परन्तु इस बार कैप्टन के नेतृत्व में कांग्रेस ने अपनी सीटों की गिनती को दुगना करते हुए आठ सीटें जीत ली हैं। कैप्टन ने चुनाव के दौरान धुआंधार चुनावी रैलियाँ कीं तथा बीजेपी व अकाली दल पर सियासी प्रहार किए।
कैप्टन की स्थिति कांग्रेस नेतृत्व के सामने भी और मज़बूत हुई है। कैप्टन सरकार ने छोटे किसानों के 2-2 लाख रुपये के कर्जे माफ़ कर दिए तो उद्योगों के लिए भी 5 रुपये प्रति यूनिट बिजली देनी शुरू कर दी थी। अब चुनावों के बाद नौजवानों को स्मार्टफ़ोन भी मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है।
अपनी राय बतायें