यूपी उपचुनाव में भाजपा की सफलता के सवाल का नैरेटिव बदलने के लिए संभल हिंसा की भूमिका कैसे तैयार की गई, उसकी सच्चाई विपक्षी दलों ने बतला दी है। विडंबना यह है कि इसमें पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने भूमिका निभाई और यह सब उत्तर प्रदेश में आम हो गया है। सरकारी अधिकारी भाजपा के एजेंट बन गए हैं। अब इसमें अदालत क्या भूमिका निभाएगी, उसकी तस्वीर भी कमोबेश पहले के मामलों को देखते हुए साफ है। जाने माने स्तंभकार अपूर्वानंद की संभल हिंसा पर टिप्पणी पढ़िएः