इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार 28 फरवरी को संभल की शाही जामा मस्जिद परिसर की सफाई का आदेश दिया है। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सफेदी (व्हाइट वॉशिंग) की जरूरत नहीं है। संभल शाही मस्जिद कमेटी ने कहा- वो ASI की रिपोर्ट के खिलाफ आपत्तियां दर्ज करायेगी।
गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशों के बाद, एएसआई ने शुक्रवार को एक निरीक्षण रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। जिसमें कहा गया कि संभल की शाही जामा मस्जिद को रमजान से पहले सफेदी करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि पूरी मस्जिद एनामल पेंट से ढकी हुई है, जो अच्छी स्थिति में है।
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मस्जिद कमेटी ने कोर्ट में जोर देकर कहा कि सफेदी करना जरूरी है। ASI की रिपोर्ट गलत है। इस पर जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच ने कमेटी को ASI की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया या आपत्तियां दर्ज करने के लिए मंगलवार तक का समय दिया है।
इस बीच, अदालत ने मस्जिद परिसर की सफाई का आदेश दिया है, जिसमें क्षेत्र के अंदर और आसपास की धूल और घास फूस हटाने का काम शामिल है।
आपको याद होगा कि गुरुवार को हाई कोर्ट ने ASI से संभल की शाही जामा मस्जिद का निरीक्षण करने को कहा था, ताकि रमजान के महीने से पहले सफेदी और मरम्मत/रखरखाव की जरूरत का आकलन किया जा सके। यह आदेश मस्जिद के प्रबंधन समिति द्वारा दायर एक आवेदन पर पारित किया गया था, जिसमें मस्जिद की सफेदी के काम को लेकर प्रतिवादियों की आपत्तियों को चुनौती दी गई थी।
अदालत में, मस्जिद कमेटी के वरिष्ठ वकील एसएफए नकवी ने तर्क दिया कि ASI अनावश्यक रूप से सफेदी के काम पर आपत्ति जता रहा है, जबकि यह काम करना ASI की ही जिम्मेदारी है। इसके जवाब में, ASI के वकील मनोज कुमार सिंह ने कहा कि कमेटी के पदाधिकारी ASI के अधिकारियों को मस्जिद परिसर में आने नहीं दे रहे हैं। लेकिन मस्जिद कमेटी ने फौरन ही इसका खंडन कर दिया। मस्जिद कमेटी ने कहा कि हमारे ही लोगों को एसडीएम अंदर जाने से रोक रहे हैं।
बता दें कि संभल की शाही जामा मस्जिद की कमेटी ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के मना करने के बाद हाई कोर्ट का रुख किया, जिसमें आगामी रमजान से पहले मस्जिद के रखरखाव काम के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई गई थी। दरअसल, कमेटी ने पहले संबंधित अधिकारियों को मस्जिद में आवश्यक रखरखाव कार्य करने की अपनी योजना के बारे में सूचित किया था। रमज़ान कल 1 मार्च से शुरू हो रहा है। कमेटी का कहना था कि यह सब रोजेदारों की सुविधा के लिए किया जाना है।
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कमेटी ने सरकारी अधिकारियों से यह भी अनुरोध किया कि पारंपरिक अज़ान और रखरखाव की गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध न लगाया जाए। संभल के ASP ने कमेटी से कहा था कि चूंकि मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है, इसलिए किसी भी काम को करने से पहले प्रबंधन समिति को ASI से अनुमति लेनी होगी।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)
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