प्रतिष्ठित ब्रिटिश जर्नल BMJ ने पाया है कि भारत में हर साल लगभग 22 लाख मौतें वायु प्रदूषण से हो रही हैं। आख़िर ख़राब हवा से हो रही मौतें मुद्दा क्यों नहीं बन पातीं?
भारत में औसतन वायु प्रदूषण के कारण जीवन प्रत्याशा में 5.3 वर्ष की कमी आती है। दिल्ली जैसे शहरों में तो यह कमी 11.9 वर्षों तक हो सकती है। क्या यह डरावना नहीं है?
स्विस संगठन IQAir की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा प्रदूषित देश है। दिल्ली फिर से दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन गई है। जानिए पूरी रिपोर्टः
प्रदूषण के मामले में भारत की स्थिति बेहद ख़राब है। दुनिया भर के 131 देशों से जुटाए गए आँकड़ों में सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहरों के मामले में भारत शीर्ष पर है।
दिल्ली में जिस तरह प्रदूषण को लेकर हंगामा मचता है वैसा दूसरे शहरों में क्यों नहीं मचता? क्या सिर्फ़ दिल्ली में ही साँस लेना दूभर है? जानिए, देश के बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर।
प्रदूषण क्या सिर्फ़ दिल्ली में है और क्या इस ख़राब हवा से एक साल में ही 17 लाख लोग दिल्ली में ही मर जाते हैं? यदि ऐसा नहीं है तो फिर प्रदूषण के लिए सिर्फ़ दिल्ली का ही नाम क्यों आता है?
पूरे उत्तर भारत में हवा के ख़राब होने के लिए क्या किसान ज़िम्मेदार हैं? तो फिर सरकार क्या कर रही है? केंद्र की मोदी सरकार से लेकर राज्यों की सरकारों ने दमघोंटू प्रदूषण को कम करने के लिए क्या किया है? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
क्या हवा ख़राब सिर्फ़ दिल्ली में है? कानपुर का क्या हाल है? लखनऊ, पटना या वाराणसी जैसे शहरों का प्रदूषण आपको पता है? कई ऐसी रिपोर्टें आती रही हैं कि छोटे शहरों में प्रदूषण का स्तर दिल्ली से कहीं ज़्यादा है।