कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने वाले नर्स, डॉक्टर और दूसरे स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ऐसी दिक्कतें आ रही हैं। हमले क्यों हो रहे हैं, सामाजिक बहिष्कार क्यों हो रहा है?
मुरादाबाद में पत्थरबाज़ी का कोई बचाव या समर्थन नहीं हो सकता। लेकिन मरकज़, तबलीग और मुरादाबाद के नाम पर आम मुसलमान के खिलाफ नफ़रत फैला रहे लोगों का क्या इलाज है? आलोक अड्डा में चर्चा ताहिरा हसन, अकु श्रीवास्तव और आशुतोष के साथ।
मुरादाबाद, इंदौर और तब्लीग़ के बहाने मुसलमानों पर निशाना क्या सही है? और क्या रासुका लगा कर मज़हबी पागलपन पर क़ाबू पाया जा सकता है? आशुतोष के साथ चर्चा में - ज़फ़र सरेसवाला, पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह और आलोक जोशी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि स्वास्थ्य कर्मियों पर हमला करने वाले यदि सरकारी संपत्ति के नुक़सान की भरपाई नहीं कर पाते हैं तो उनकी संपत्ति को कुर्क किया जाए।
इससे ज़्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि कोरोना के मसले को भी हिंदू-मुसलमान का रंग दिया जा रहा है। इंदौर और मुरादाबाद में डाॅक्टरों और नर्सों पर जो हमले किए गए हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए, कम है।
मुरादाबाद के एक मोहल्ले में स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिसवालों पर कुछ मुसलमानों ने हमला कर दिया। कुछ ही समय पहले इंदौर में भी ऐसी ही घटना हुई थी। तब भी इसे मुसलमानों को एक जाहिल वर्ग की हरकत मान कर निन्दा की गयी थी।