इससे ज़्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि कोरोना के मसले को भी हिंदू-मुसलमान का रंग दिया जा रहा है। इंदौर और मुरादाबाद में डाॅक्टरों और नर्सों पर जो हमले किए गए हैं, उनकी जितनी निंदा की जाए, कम है। क्या कोई कल्पना भी कर सकता है कि जो लोग अपनी जान ख़तरे में डालकर आपकी जान बचाने आए हैं, आप उन्हीं पर पत्थर बरसा रहे हैं। यह किसी इंसान का काम तो नहीं हो सकता। यह तो शुद्ध जानवरपना है। ऐसा क्यों हो रहा है?