लोग आपको मुसीबत से बचाने आएँ और आप उत्तेजित हो जाएँ, उन पर हमला कर दें, उन पर पथराव कर दें। इसे किस श्रेणी में रखा जाए कि आप बदतमीज़ हैं, जाहिल हैं। नहीं ऐसा नहीं है। ऐसा काम बदतमीज़ और जाहिल नहीं करते हैं, ऐसा काम सिर्फ़ पागल आदमी कर सकता है। मुरादाबाद में यही हुआ। वहाँ के एक मोहल्ले में स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिसवालों पर कुछ मुसलमानों ने हमला कर दिया। कुछ ही समय पहले इंदौर में भी ऐसी ही घटना हुई थी। तब भी इसे मुसलमानों को एक जाहिल वर्ग की हरकत मान कर निन्दा की गयी थी।
मुरादाबाद जैसा पागलपन क्यों सामने आ रहा है?
- विचार
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- 17 Apr, 2020

वे मुसलमान हैं। इस समय सबसे सॉफ्ट टारगेट। उन्हें पागलों की तरह व्यवहार करने पर मजबूर करना होगा तभी उनके दमन को जायज़ ठहराया जा सकता है। जमात-जमात का शोर मचा कर आख़िरकार मीडिया ने ऐसी स्थिति बना दी कि लॉकडाउन के कठिन समय में भी मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार शुरू हो चुका है।
लेकिन इन घटनाओं को जाहिलों की हरकत कह कर मुसलमानों के ख़िलाफ़ माहौल बनाना एक और बड़ी खौफ़नाक स्थिति है। दरअसल, एक दो व्यक्तियों को नहीं बल्कि करोड़ों लोगों के समुदाय को पागल क़रार दे कर उनके मानमर्दन की बड़ी साज़िश है यह। बचपन में हम सब या तो इस स्थिति का शिकार हुए हैं या फिर शिकार किया है। क्लास में किसी एक छात्र को परेशान करना और फिर उसकी ही शिकायत कर टीचर से उसकी डाँट पड़वाने की घटना लगभग सबको याद होनी चाहिए। लगातार इन हरकतों से परेशान हो कर या तो वो छात्र मार पीट पर उतर आता था। या फिर उत्पाती छात्रों का संरक्षण हासिल करने की जुगत करता था। ठीक यही हो रहा है भारतीय मुसलमानों के साथ।