मुरादाबाद के एक मोहल्ले में स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिसवालों पर कुछ मुसलमानों ने हमला कर दिया। कुछ ही समय पहले इंदौर में भी ऐसी ही घटना हुई थी। तब भी इसे मुसलमानों को एक जाहिल वर्ग की हरकत मान कर निन्दा की गयी थी।
सैकड़ों दिलों में उन्होंने प्यार का जज्बा जगाया लेकिन अपने प्यार का इज़हार वह कर ही नहीं पायीं। दूसरी बार प्यार जागा तो उसे हासिल करने में 10 साल से ज़्यादा का समय लग गया।
दिल्ली में नागरिकता क़ानून के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन के दौरान जब छात्रों ने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म गायी तो इस नज़्म को हिंदू-विरोधी क़रार दिया गया। आख़िर फ़ैज़ कौन थे? क्यों है इतना विवाद?
भारत की पहली समानान्तर फ़िल्म 'भुवन शोम' के 50 साल पूरे हो रहे हैं। आख़िर क्या थी उस फ़िल्म की खूबी कि उसके साथ ही भारतीय फिल्म जगत में एक नए युग की शुरुआत उससे हुई।