बचपन में वह बहुत सीधे-साधे थे। परिवार की लड़कियों के बीच खेल कर उनका बचपन बीता। इसका असर यह हुआ कि उनके बोलने का लहज़ा बहुत शालीन और मिज़ाज शर्मीला हो गया। यह बच्चा जब लड़का बना तब भी उसमें पुरुषों जैसी आक्रामकता और बेबाक़ी नहीं आयी। और कमाल यह है कि कम बोलने वाला और प्रेम विषय पर शायरी की शुरुआत करने वाला वह शख्स ऐसा क्रांतिकारी शायर बना जिसके मरने के 35 साल बाद भी उसकी शायरी जीवन के रणक्षेत्र में कठिन और विपरीत समय में सपनों और इंसान के आत्मसम्मान को बचाए रखने की प्रेरणा दे रही है।