बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद भी मामला थमता नज़र नहीं आ रहा है। ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का फ़ैसला किया है।
बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया है। इसने कुछ सवालों के जवाब दिए, पर दूसरे कई सवालों के जवाब अनुत्तरित ही रह गए। क्या है मामला?
बाबरी मसजिद-राम मंदिर सिर्फ़ राजनीतिक मुद्दा नहीं था। इससे जुड़ी हुई थी करोड़ों लोगों की भावनाएँ। मुसलमानों ने ख़ुद इस पर दावा छोड़ दिया होता तो उनका सिर ऊँचा होता और शर्मसार होते मसजिद ढहाने वाले।
राम लला विराजमान के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की विश्व हिन्दू परिषद से कभी नहीं पटी। उनकी गवाही पर ही तत्कालीन विहिप प्रमुख अशोक सिंघल को गिरफ़्तार कर लिया गया था। अब नए मंदिर में उन्हें जगह मिलेगी?
क्या अयोध्या में राम मंदिर उत्तर प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव तक बन कर तैयार हो जाएगा? क्या राम मंदिर बनाने में कामयाबी उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मसजिद-राम जन्मभूमि मंदिर विवाद पर जो फ़ैसला दिया, वह उससे अलग कोई दूसरा फ़ैसला नहीं दे सकता था। आख़िर क्या मजबूरियाँ थीं कोर्ट की?
‘मंदिर वहीँ बनाएँगे’, पिछले तीस साल से यह नारा लगाते हुए जिनके गले छिल गए हैं, उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा गया है, ‘इतना हलकान क्यों होते हो? मंदिर वहीं बनेगा।’
सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर फ़ैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा के दावे को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि निर्मोही अखाड़ा सेवईत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में बाबरी मसजिद-राम मंदिर विवाद पर फ़ैसला सुना देगा। इसके लिए अयोध्या में ख़ास तैयारियाँ की गई हैं, सुरक्षा बलों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
आज अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट फ़ैसला सुनाएगा। वे कौन मुद्दे हैं, जिन पर सर्वोच्च अदालत को निर्णय देना है? इन्ही मुद्दों पर 2010 में इलाहाबाद ने फ़ैसला सुनाया था। क्या था वह फैसला?
हिन्दुओं के पक्ष में निर्णय आने पर ही सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को मानने की बात कहने वाली बीजेपी, आरएसएस और विहिप अब कह रही हैं कि हर कोई फ़ैसला स्वीकार कर ले, चाहे वह कुछ भी हो।