पिछले साल अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला वैसा ही आया जैसा हिंदू पक्ष चाहता था और मुस्लिम पक्ष नहीं चाहता था।
अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट चाहता तो भी कोई और फ़ैसला नहीं दे सकता था
- अयोध्या विवाद
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- 9 Nov, 2019

जब सुप्रीम कोर्ट मानता है कि मुसलमान बाबरी मसजिद में सालों से जाते रहे थे, वहाँ मूर्तियाँ रखना ग़लत था, मसजिद को तोड़ना भी ग़लत था, तो आख़िर किस आधार पर कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में यह फ़ैसला सुना दिया? पिछले साल आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की विसंगतियों और उसकी मजबूरियों के बारे में बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार नीरेंद्र नागर।
लेकिन यह कहना ग़लत होगा यह निर्णय केंद्र सरकार या किसी पार्टी या संगठन के दबाव में आया है क्योंकि बेंच में जो जज थे, उनके बारे में ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता था। ख़ासकर इसलिए भी उन्होंने जजमेंट में जो बातें कही हैं, उनमें से अधिकतर हिंदू पक्ष की दलीलों के ख़िलाफ़ थीं।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश