फ़ेसबुक पर नफ़रत फैलाने के मामले में चौंकाने वाली रिपोर्टें आई हैं। इस पर नफ़रत फैलाने वाली पोस्टों को रोकने में नाकाम रहने और ऐसी पोस्टों पर चुनिंदा तरीक़े से कार्रवाई करने के आरोप तो पहले से ही लगते रहे हैं, लेकिन अब फ़ेसबुक के आंतरिक सिस्टम पर ही गंभीर सवाल उठे हैं। आरोप लगे हैं कि इसके आंतरिक सिस्टम उन पोस्टों को आगे बढ़ाते हैं जो नफ़रत फैलाने वाले हैं। यानी आप क्या देखना चाहते हैं या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता है और फ़ेसबुक का आंतरिक सिस्टम आपको नफ़रत व भड़काऊ सामग्री परोसना शुरू कर देता है।
फ़ेसबुक का आंतरिक सिस्टम ही 'नफ़रत को बढ़ावा देने वाला'?
- सोशल मीडिया
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- 25 Oct, 2021
फ़ेसबुक पर आख़िर बार-बार नफ़रत फैलाने का आरोप क्यों लगता है? आंतरिक सिस्टम पर सवाल उठने के बाद फ़ेसबुक ने ही अब क्यों कहा है कि अल्गोरिदम का गहन विश्लेषण किया गया?

आंतरिक सिस्टम का मतलब है फ़ेसबुक का एल्गोरिदम से। आसान शब्दों में कहें तो एल्गोरिदम ही तय करता है कि फ़ेसबुक जैसा सोशल मीडिया या कोई भी सर्च इंजन किस तरह की सामग्री को आगे बढ़ाता है यानी प्रमोट करता है। मिसाल के तौर पर यदि आपने अकाउंट में लॉग इन किया तो फ़ेसबुक आपको किस तरह के पेज या कंटेट को आपके सामने सुझाव के रूप में परोसता है और आपको सुझाव देता है कि किसको फॉलो करें और क्या सामग्री देखें।