यहाँ हराम की खानेवाले हर हालत में हराम की ही खाते हैं। मेहनत की कोई गलती से भी उन्हें खिला दे तो बेचारों को दस्त लग जाते हैं। उन्हें किसी दिन खाने को न मिले तो वे भूखे रह जाएंगे मगर खाएंगे तो सिर्फ और केवल हराम की खाएंगे। वही इनको रुचता भी है और पचता भी है, चाहे उसमें कंकर- पत्थर मिले हों। अपने लिए बनाये उनके सारे नियम, सारे सिद्धांत जीवन में कभी न कभी टूट सकते हैं मगर यह सिद्धांत अटल है। इस मामले में उनका 'ईमान' कोई डिगा नहीं सकता। दुनिया की कोई ताक़त उन्हें उनके इस पथ से विचलित नहीं कर सकती। मर जाएंगे मगर हराम की खाकर रहेंगे, खाने की यह आन- बान- शान कभी मिटने नहीं देंगे।